ब्रज के मतदाता पर्यावरण की उपेक्षा पर मांग रहे जवाब
मथुरा | ब्रज इलाके के यमुना से लगे क्षेत्र में कभी भगवान श्रीकृष्ण ने अपना बचपन बिताया था। यह बटेश्वर और वृंदावन के बीच फैला हुआ है। इस इलाके में भगवान कृष्ण ने ‘रास लीला’ रचाई थी। लेकिन अब यहां के लोगों का कहना है कि यदि भगवान कृष्ण आज यहां जन्म लेंगे तो यहां के प्रदूषण, बदबू और यमुना के घाटों के नष्ट होने की वजह से वह कहीं और चले जाना पसंद करेंगे। इतना ही नहीं, इलाके में बड़े स्तर पर पेड़ों की कटाई और हजारों की संख्या में सार्वजनिक तलाब गायब हो चुके हैं।
इससे जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र को इलाके में भारी नुकसान पहुंचा है। इसे लेकर आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में ब्रज के 45 लाख से ज्यादा मतदाता अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
फ्रेंड्स ऑफ वृंदावन के संयोजक जगन्नाथ पोद्दार ने आईएएनएस से कहा, “वृंदावन के निवासी अखिलेश सरकार के यमुना से जुड़े त्रुटिपूर्ण रिवर फ्रंट डेवलेपमेंट प्रोजेक्ट से उत्तेजित हैं। सौभाग्य से उच्च न्यायालय ने योजना पर रोक लगा दी है। इससे प्राचीन घाटों, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के संरक्षित मंदिरों और नदी को खतरा है।”
पोद्दार और इलाके के समाजिक कार्यकर्ताओं ने उम्मीदवारों से बातचीत की और उनसे ‘ब्रज धाम के अतीत के गौरव को बहाल करने की’ प्रतिबद्धता की मांग की। उन्होंने इसके लिए प्राकृतिक सुंदरता और संसाधनों के संरक्षण पर जोर दिया। वृंदावन में यमुना पर बन रहे एक अपूर्ण पुल को अदालत ने गिराने का आदेश दिया, इस मामले के इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिकाकर्ता, मधु मंगल शुक्ला ने कहा, “विकास के नाम पर, बहुत सारे नुकसान पर्यावरण को किए गए हैं जो इलाका कभी हरे और घने जंगलों के लिए जाना जाता था। पूरा इलाका बहुमूल्य मैंग्रोव वनस्पतियों से वंचित हो गया है।”
आगरा में पर्यावरण समूह बैठकों व रैलियों का आयोजन कर रहे हैं, जिससे राज्य में पर्यावरण की खराब स्थिति के प्रति ध्यान खींचा जा सके। इसके जरिए ताज ट्रेपेजियम जोन में पर्यावरण की संवेदनशीलता को उजागर करने का भी प्रयास है।
नदी जोड़ो अभियान के सदस्य डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य ने आईएएनएस से कहा, “सर्वोच्च न्यायालय के प्रतिबंधों और विशेष एजेंसियों के व्यापक दिशा-निर्देश के बावजूद यमुना के बाढ़ क्षेत्रों पर अतिक्रमण लगातार जारी है। ‘पेठा’ (स्थानीय मिठाई) की इकाइयां लगातार पर्यावरण को प्रदूषित कर रही हैं।”
उन्होंने कहा, “बड़ी संख्या में पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले उद्योग बिना इजाजत के धड़ल्ले से चलाए जा रहे हैं। आगरा के चारों तरफ हरियाली तेजी से घट रही है। कैथम झील संवेदनशील क्षेत्र में कालोनी बनाने वालों और जमीन कब्जाने वालों की गिरफ्त में है।”
श्रवण कुमार सिंह एक पर्यावरण कार्यकर्ता ने कहा, “हमारे पास लोगों के हस्ताक्षर किए हुए संकल्प पत्र हैं और अब हम उम्मीदवारों पर दबाव बना रहे हैं कि वह पर्यावरण मुद्दों पर सामने आएं। हम चाहते हैं कि वह अपना पूरा दृष्टिकोण रखें और आगरा के पर्यावरण को लेकर प्रतिबद्धता दें।”