देश में नोटबंदी मोदी निर्मित आपदा : खड़गे
बेंगलुरु | कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश में नोटबंदी को मोदी निर्मित आपदा बताया है। देश में आठ नवम्बर को नोटबंदी लागू की गई। उसके बाद से अभी भी लोगों की परेशानियां कम नहीं हुई हैं।
खड़गे ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा, “नोटबंदी नरेंद्र मोदी निर्मित आपदा है जिसका लोगों, उनके जीविकोपार्जन और पूरी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ा है। मोदी को यह स्वीकार करना चाहिए कि यह एकपक्षीय कदम एक भारी गलती है और उन्हें लोगों का जीवन और व्यवसाय अस्त-व्यस्त करने के लिए माफी मांगनी चाहिए।”
लोकसभा में कांग्रेस के नेता खड़गे ने बिना तैयारी और वैकिल्पक व्यवस्था के नोटबंदी के अचानक फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार के पास काले धन या जाली नोटों को समाप्त करने या आतंकियों के वित्तपोषण को अपने आधिकारिक और कानूनी तंत्र के जरिए न कर पाने की नाकामी के लिए लोगों, विशेष रूप से गरीबों, किसानों को पीड़ा पहुंचाने का जनादेश नहीं था।
खड़गे ने कहा, “भ्रष्टाचार, करों के भुगतान से बचने, काला बाजारी और अवैध तरीके से कमाए गए धन की कीमत आम लोगों को क्यों चुकानी पड़ी? सरकारी तंत्र की नाकामयाबियों के लिए कानून का पालन करने वाले नागरिक कैसे जिम्मेदार हो गए?”
खड़गे ने स्पष्ट करते हुए कहा कि कांग्रेस काले धन पर लगाम लगाने, जाली मुद्रा का पता लगाने या आतंक फैलाने के लिए हो रही फंडिंग को रोकने के खिलाफ नहीं है। उन्होंने नोटबंदी को एक फ्लोप शो करार दिया और कहा कि समानांतर अर्थव्यवस्था वाले आज भी देश में फल-फूल रहे हैं।
उन्होंने कहा, “आयकर विभाग और अन्य प्रवर्तन एजेंसियां भारी मात्रा में नए और पुराने नोट, बेहिसाब नकदी, सोना, आभूषण और करोड़ों रुपये की अघोषित आय जब्त कर रहीं हैं। इससे पता चलता है कि नोटबंदी सफल नहीं हुई है।”
पूर्व केंद्रीय श्रम एवं रेलवे मंत्री ने कहा कि वह अचंभित है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), वित्त मंत्रालय और सराकरी बैंकों ने बिना किसी तैयारी के रातभर में बाजार में मौजूद 85 फीसदी नकदी पर किस तरह रोक लगा दी।
खड़गे ने कहा, “यदि पिछले 45 दिनों में 12 से 13 लाख करोड रुपये के प्रतिबंधित नोट बैंकों में जमा कर दिए गए हैं या नई मुद्रा में बदल दिए गए हैं, जैसा कि आरबीआई और वित्त मंत्रालय ने कहा है, तो काला धन कहां है?” उन्होंने मोदी सरकार पर लोगों को बिना किसी कारण के प्रताड़ित और दंडित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बैंकों में अपर्याप्त नकदी की वजह से असंगठित क्षेत्रों में लाखों की संख्या में कामगार और किसानों को इस पूरे महीने की पगार नहीं मिली है।
खड़गे ने कहा, “नकदी की कमी से गरीब और प्रवासी श्रमिक सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। उन्हें काम नहीं मिलने या वेतन नहीं मिलने की वजह से अपने गांवों को लौटना पड़ा है। कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति गंभीर है।” उन्होंने कहा कि नोटबंदी का अमीरों, रसूखदारों और ऊंचे तबके के लोगों पर असर नहीं पड़ा है।