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माता-पिता की जगह गुरु का नाम लिख सकते हैं साधु, संन्यासी

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नई दिल्ली | केंद्र सरकार ने साधु और संन्यासियों को एक खास राहत दी है। अपनी जड़ों से वंचित यह लोग पासपोर्ट की अर्जी दाखिल करते समय फॉर्म में अपने माता-पिता के नाम के स्थान पर धार्मिक गुरु का नाम लिख सकते हैं। विदेश मंत्रालय ने  पासपोर्ट संबंधी नए नियमों की घोषणा की।
मंत्रालय ने कहा है कि संत और संन्यासी अपने माता-पिता की जगह अपने गुरु का नाम लिखकर पासपोर्ट की अर्जी दाखिल कर सकते हैं।
इसके लिए हालांकि उन्हें एक सार्वजनिक दस्तावेज दिखाना होगा जिसमें मतदाता परिचय पत्र (ईपीआईसी), पैन कार्ड, आधार कार्ड आदि शामिल हैं जिसमें उनके गुरु का नाम उनके माता-पिता वाली जगह पर हो।  नए नियम नई जीवनशैली और पारिवारिक मान्यताओं को दर्शाते हैं। मंत्रालय ने अर्जी देने वाले को माता-पिता में से किसी एक का नाम देने की भी इजाजत दे दी है। अभी तक माता-पिता, दोनों का नाम दिया जाना अनिवार्य था।
नए नियमों की घोषणा करते हुए विदेश राज्य मंत्री जनरल वी.के.सिंह ने कहा कि साधु-संतों को लेकर दो मुद्दे थे।  उन्होंने कहा, “पहला सवाल उनके माता-पिता का था और दूसरा जन्मतिथि प्रमाण पत्र का, जिसे उन्हें वैसे भी नए दस्तावेजों के तहत जमा करना होगा।” मुख्य पासपोर्ट अधिकारी अरुण चटर्जी ने कहा कि यह इन लोगों की लंबे समय से लंबित मांग थी जिसे अब मंत्रालय ने मंजूर कर लिया है।

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