मुसीबत में राह दिखाती है गीता
न सिर्फ विद्वानों ने, बल्कि विश्व के अनेक सफल लोगों ने श्रीमद्भगवद्गीता के महत्व को समझा है और उससे प्रेरणा भी ग्रहण की है। स्वामी विवेकानंद ने गीता को अपने जीवन व्यवहार में उतारा था और महात्मा गांधी तो अकसर ही कहा करते थे कि जब वह मुसीबत में होते हैं तो गीता उन्हें राह दिखाती है। प्रेरणादाई ग्रंथ मानते हैं। गीता के सिद्धांतों को देखा जाए तो यह अध्यात्म है और व्यावहारिक होने के कारण विज्ञान का रूप धारण कर लेता है। श्रीमद्भगवद्गीताका अध्यात्मिक मर्म यह है कि संसार एक प्रकार का युद्धस्थल है, जिसमें प्रत्येक प्राणी सत्य और अच्छाइयों के लिए किसी न किसी रूप में बुराइयों से संघर्ष कर रहा है। कौरव बुराइयों और पांडव अच्छाइयों के प्रतीक हैं। गीता का संदेश है कि यदि अपने कर्म में निरंतर रत रहा जाए और संघर्ष जारी रखा जाए, तो अंत में विजय अच्छाइयों की ही होती है।
भक्ति, ज्ञान और कर्म का संग्रह है गीता। यही वे साधन हैं, जिनसे किसी भी युग का इंसान अपने समक्ष आई चुनौतियों का सामना कर पाने में सक्षम होता है। इसमें मानव जीवन की समस्याओं का समाधान भी बताया गया है। श्रीकृष्ण ने गीता में मनुष्यों के समक्ष उपस्थित ऐसे प्रश्नों के उत्तर दिए हैं, जिससे इंसान कर्म पथ पर आगे बढ़ सकता है। गीता का अनुकूल आचरण ही हमें आज के यांत्रिक और भौतिक युग में जीवन की चुनौतियों से पार लगाकर शांति प्रदान करता है। ग्रंथ में भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी प्राप्ति के दो मुख्य मार्ग सांख्य योग और कर्मयोग भी बताए हैं। श्रीकृष्ण ने गीता में कर्मयोग को अव्यय अर्थात नित्य कहा है। मूल गीता तो संस्कृत भाषा में है, किन्तु इसका अनेक भाषाओं में अनुवाद सर्वसुलभ है। गीता के उपदेशों से आप उन्नति की ओर अग्रसर हो सकते हैं। डॉ. अब्दुल कलाम के शब्दों में गीता द्वापर युग में महाभारत युद्ध के समय भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है, परंतु शताब्दियां बीत जाने पर भी इसकी प्रासंगिकता और उपयोगिता वैसी की वैसी बनी हुई है। क्योंकि उस वक्त की समस्याएं और परिस्थितियां हर युग में बनती आई हैं। आज के इस जीवन संघर्ष में तो गीता की उपयोगिता और भी बढ़ गई है, क्योंकि गीता उलझनों से किंकत्र्तव्यविमूढ़ हो चुके मानव को जीवन जीने का सही रास्ता दिखलाती है।
कर्म को ही पूजा मानने का संदेश देने वाली गीता सिर्फ उपदेश ही नहीं देती बल्कि उसे जीवन में उतारने का मार्ग भी बताती है। महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास का कथन है कि गीता सभी शास्त्रों का निचोड़ है। आज व्यस्तता के इस दौर में इसकी प्रासंगिकता और ज्यादा हो गई है। गीता का ध्यान के साथ श्रवण और पठन-पाठन करें तथा इसकी प्रत्येक पंक्ति का मनन भी करें। जीवन के रहस्यों को सुलझाने में गीता के अध्ययनकर्ता को अन्य शास्त्रों के संग्रह की कोई आवश्यकता नहीं है। भगवान श्रीकृष्ण के मुखारविन्द से निकली गीता में संसार की सभी समस्याओं का समाधान निहित है। आज के युवाओं के लिए गीता और भी ज्यादा प्रासंगिक है। कर्म किए जा फल की चिंता मत कर वाले सिद्वांत पर चलने की जरूरत है। आज आदमी किसी से बात करने में भी अपना फायदा खोजता है। कर्म से पहले फल की इच्छा करने वाले आधुनिक समाज में गीता का महत्व पहले से कहीं ज्यादा हो गया है। गीता हमे ंयह बताती है कि शरीर अमर नहीं है पर आत्मा अमर है। अर्जुन जब रणभूमि में अपने गुरुजनों और सम्बन्धियों के खिलाफ वार नहीं कर पा रहे थे तब कृष्ण ने ही उन्हें गीता के उपदेश दिए थे। आज भी गीता के उपदेश युवाओं को राह दिखाते हैं। माया मोह में फंसे समाज का गीता ही कल्याण कर सकती है।