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अमरनाथ में जलप्रलय, 16 की मौत, 40 से ज्यादा लापता, जानें क्यों फटता है बादल ?

जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ गुफा के पास शुक्रवार शाम बादल फटने से बड़ा हादसा हो गया। भारी सैलाब में कई श्रद्धालु बह गए। अब तक 16 लोगों के मरने की पुष्टि हो चुकी है वहीं 45 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। जबकि 40 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं। इनकी तलाश में रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है। मौके पर आईटीबीपी और एनडीआरएफ की टीमें भी जी जान से जुटी हैं। देर रात तक राहत और बचाव कार्य चलता रहा। शनिवार सुबह से एक बार फिर ऑपरेशन में तेजी लाई जा रही है।

बता दें कि हर रोज करीब 15 हजार श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए पवित्र गुफा पहुंच रहे हैं। एक हफ्ते पहले ही 30 जून को अमरनाथ यात्रा शुरू हुई है और एक हफ्ते में ही कई बार खराब मौसम की वजह से यात्रा को रोकना पड़ा है। जब यह घटना हुई तब मौके पर करीब 12 हजार यात्री मौजूद थे। अमरनाथ गुफा से करीब 2 किलोमीटर दूर यह घटना हुई है। मिली जानकारी के मुताबिक अमरनाथ की गुफा के नीचे शाम साढ़े 5 बजे के करीब बादल फटा। इस घटना के बाद अमरनाथ यात्रा को फिलहाल के लिए रोक दिया गया है।

मानसून शुरू हो गया है और इस सीजन में पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाएं अक्‍सर सामने आती हैं। जिनकी चपेट में आकर कई लोगों की मौत हो जाती है। आइए जानते हैं कि आखिर बादल फटते क्यों हैं ? क्या वजह होती है जिससे बादल पहाड़ों पर ज्यादा फटते हैं?

फ्लैश फ्लड या क्लाउड बर्स्ट

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार जब एक जगह पर अचानक एकसाथ भारी बारिश हो जाए तो उसे बादल फटना कहते हैं। आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर पानी से भरे किसी गुब्बारे को फोड़ दिया जाए तो सारा पानी एक ही जगह तेज़ी से नीचे गिरने लगता है। ठीक वैसे ही बादल फटने से पानी से भरे बादल की बूंदें तेजी से अचानक जमीन पर गिरती है। इसे फ्लैश फ्लड या क्लाउड बर्स्ट भी कहते हैं।

अचानक क्यों फट जाते हैं बादल?

कहीं भी बादल फटने की घटना तब होती है जब काफी ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह पर रुक जाते हैं। वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं। बूंदों के भार से बादल का घनत्व बढ़ जाता है। फिर अचानक भारी बारिश शुरू हो जाती है। बादल फटने पर 100 मिमी प्रति घंटे की रफ्तार से बारिश हो सकती है।

पहाड़ों पर अक्सर क्यों फटते हैं बादल?

पानी से भरे बादल पहाड़ी इलाकों फंस जाते हैं। पहाड़ों की ऊंचाई की वजह से बादल आगे नहीं बढ़ पाते। फिर अचानक एक ही स्थान पर तेज़ बारिश होने लगती है। चंद सेकेंड में 2 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश हो जाती है। पहाड़ों पर आमतौर पर 15 किमी की ऊंचाई पर बादल फटते हैं। हालांकि, बादल फटने का दायरा ज्यादातर एक वर्ग किमी से ज्यादा कभी भी रिकॉर्ड नहीं किया गया है। पहाड़ों पर बादल फटने से इतनी तेज बारिश होती है कि सैलाब बन जाती है। पहाड़ों पर पानी रूकता नहीं इसलिए तेजी से पानी नीचे आता है। नीचे आने वाला पानी अपने साथ मिट्टी, कीचड़ और पत्थरों के टुकड़े ले आता है। इसकी गति इतनी तेज होती है कि इसके सामने पड़ने वाली हर चीज बर्बाद हो जाती है।

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