वैज्ञानिकों ने किया बड़ा खुलासा, बुजुर्गों में युवाओं के मुकाबले ज्यादा एंटीबॉडी मौजूद
जैसे कि हम सब जानते ही हैं पूरे देश में कोरोना वायरस के संक्रमित मामले दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं। इसी बीच यह पाया गया कि कोरोना वायरस से ठीक हो चुके बुजुर्गों में युवाओं के मुकाबले वायरस निष्क्रिय करने वाली एंटीबॉडी ज्यादा तादाद में पाई जा रही है।
दरअसल चीन के शंघाई में एक अस्पताल से फरवरी में डिस्चार्ज हुए हल्के संक्रमण वाले 175 लोगों की जांच में यह परिणाम सामने आया है। वहीं इसी पर शोध कर रहे कुछ शोधकर्ताओं की माने तो ज्यादा उम्र से लेकर बुजुर्ग मरीजों के प्लाज्मा में न्यूट्रलाइजिंग और स्पाइक-बाइंडिंग एंटीबॉडी का स्तर तुलनात्मक रूप से ज्यादा था। वहीं 30 फीसदी युवाओं में तो उम्मीद के उलट एंटीबॉडी का स्तर मानक से कम पाया गया।
वैज्ञानिकों तथा शोधकर्ताओं की मानें तो मरीजों के नमूनों से वायरल डीएनए का पता न लग पाने के कारण इनमें संक्रमण के स्तर की सही जानकारी नहीं मिल पाई हैं।
इस शोध में कुछ बातें ऐसी भी सामने आई जिनको सुनकर शोधकर्ता और वैज्ञानिक सभी लोग आश्चर्यचकित हो गए। हुआ कुछ यूं कि अधिक एंटीबॉडी होने के बाद भी बुजुर्ग जल्दी ठीक नहीं हो पाए। यानी बुजुर्ग और युवा मरीजों को ठीक होने में एक समान समय लगा। ठीक हुए इन लोगों की बीमारी की औसत अवधि 21 दिन, अस्पताल में भर्ती रहने का औसत समय 16 दिन और औसत आयु 50 साल थी।
पूरा शोध खत्म होने के बाद वैज्ञानिकों तथा शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि बुजुर्गों में एंटीबॉडी का अधिक स्तर उनके मजबूत प्रतिरक्षा तंत्र के कारण भी हो सकता है। हालांकि, सिर्फ मजबूत एंटीबॉडी के कारण ही उनमें गंभीर संक्रमण से बचाव के पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं क्योंकि दुनियाभर में तो यही पाया गया है कि कोरोना के प्रति बुजुर्ग ज्यादा कमजोर हैं।
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