अब ये तरीका अपनाकर भारत तोड़ देगा कोरोना वायरस इंफेक्शन की चेन
कोरोना ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका को भी नहीं छोड़ा। उसी कोरोना ने साउथ कोरिया की सीमा में पहुँचते ही दम तोड़ दिया। दरअसल साउथ कोरिया ने जिस टेस्ट के दम पर कोरोना इंफेक्शन की चेन को कमज़ोर किया, वही टेस्ट अब भारत आ रहा है। नाम है- सेरोलॉजिकल टेस्ट।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी ICMR। भारत में बायोमेडिकल रिसर्च की सबसे बड़ी संस्था। ICMR अब कोरोना वायरस के टेस्ट में मदद करने वाली पांच लाख किट मंगा रही है। ये किट अब तक इस्तेमाल हो रही टेस्टिंग किट से अलग होगी। वर्किंग भी अलग होगी और इस्तेमाल भी। इसकी मदद से सेरोलॉजिकल टेस्ट किया जा सकेगा।
जाने क्या होता है सेरोलॉजिकल टेस्ट?
ये असल में खून की जांच है। John Hopkins Bloomberg School of Public Health के अनुसार इस टेस्ट का उपयोग ये जानने के लिए होता है कि क्या कोई शख्स किसी खास पैथोजन यानी बीमारी फैलने वाले किसी वायरस के संपर्क में आया है। जांच के तहत खून का सीरम लिया जाता है। इसमें लाल और सफेद रक्त कणिकाएं शामिल नहीं होती हैं। खून के इस सीरम की जांच की जाती है और देखते हैं कि क्या इसमें कोई ऐसी एंटीबॉडी है जो किसी खास पैथोजन के होने पर बनती है।
इस तरह किया जाएगा सेरोलॉजिकल टेस्ट
आपका खून लिया जाएगा। उसका टेस्ट किया जाएगा। कुछ घंटों में ही रिपोर्ट भी आ जाएगी। लेकिन एक पेंच है. इस टेस्ट से ये नहीं पता चलता कि फलां इंसान कोरोना पॉजिटिव है या नहीं।
बल्कि टेस्ट से पता चलेंगी ये दो बातें
पहली बात – क्या वो व्यक्ति हाल-फिलहाल किसी इंसान या अन्य माध्यम से कोरोना वायरस के संपर्क में आया है?
दूसरी बात- अगर नहीं, तो कोई बात नहीं. अगर हां, तो क्या इस व्यक्ति को भी कोरोना टेस्ट की ज़रूरत है?
अगर ज़रूरत है, तो टेस्ट के लिए भेज दिया जाएगा। अगर ज़रूरत नहीं है तो भी उसे क्वारंटीन किया जाएगा। ऐहतियात के तौर पर।
यानी सेरोलॉजिकल टेस्ट एक तरह की छन्नी है, जो हर उस व्यक्ति को छानकर अलग कर देती है, जो हाल-फिलहाल जाने-अनजाने में कोरोना वायरस के इंफेक्शन में भले ना सही, लेकिन इन्फ्लूएंस में आया हो इसीलिए इसे स्क्रीनिंग टेस्ट कहा जाता है।
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