कोरोना वायरस पर नया खुलासा, अधिकतम लोगों में ऐसे फैलता है कोरोना
चीन से फै़ले कोरोना वायरस के अभी तक पूरे विश्व में कुल 5 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। यह दिन प्रतिदिन तेजी से पूरे विश्व भर में फैलता जा रहा है। इसको रोकने के लिए अलग-अलग देशों की सरकार ने अपने अपने देशवासियों के लिए कई तरह की मुहिम चलाई है। अभी तक इस वायरस की वजह से कुल 24 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।
महामारी को लेकर हुई एक नई रिसर्च स्टडी
इसकी दवा और वैक्सीन तैयार करने को लेकर रिसर्च जारी है, कई शोधों के सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। इस बीच चीन में इस महामारी को लेकर हुई एक नई रिसर्च स्टडी में इसका संक्रमण फैलने के बारे में नया खुलासा हुआ है। चिकित्सकीय भाषा में इसे नोसोकोमियल ट्रांसमिशन कहा जाता है।
आइए इसके बारे में जानते हैं:
नोसोकोमियल ट्रांसमिशन
चीन में कोरोना वायरस के शुरुआती 138 मरीजों पर यह रिसर्च स्टडी हुई है, जो जामा के मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई है। इसमें बताया गया है कि कोरोना वायरस के शुरुआती 138 मरीजों में से 41 फीसदी मरीज वुहान के एक अस्पताल में ही इस वायरस से संक्रमित हुए। मेडिकली इसे नोसोकोमियल ट्रांसमिशन कहा जाता है, जिसका मतलब है कि इस महामारी ने लोगों को अस्पताल में ही संक्रमित किया।
ब्रॉन्कोस्कोपी जैसी मेडिकल प्रक्रिया में भी इसके फैलने का खतरा
विशेषज्ञों की माने तो, इनमें लगभग आधा संक्रमण अस्पताल से ही लोगों के बीच फैला। कोरोना संक्रमण के पर्सन टू पर्सन यानी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है, लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना सिर्फ लोगों से ही लोगों में नहीं फैलता, बल्कि ब्रॉन्कोस्कोपी जैसी मेडिकल प्रक्रिया में भी इसके फैलने का खतरा रहता है।
ट्यूब से भी इंफेक्शन का खतरा
विशेषज्ञ बताते हैं कि ब्रॉन्कोस्कोपी में डॉक्टर मरीज के फेफड़े में एक ट्यूब घुसाते हैं, जिस ट्यूब से भी इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। अस्पताल में हेल्थकेयर में लगे कर्मियों और लोगों को यह वायरस अपनी चपेट में ले रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस के इस हद तक संक्रमित होने की वजह से डॉक्टरों और हेल्थकेयर में लगे अन्य कर्मियों में इसके फैलने की संभावना बढ़ जाती है। कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों की देखभाल करने वालों को बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।