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चारधाम यात्रा में कोरोना का खौफ, इस तरह बचाएं जाएंगे लोग

जहाँ एक तरफ पूरे देश में कोरोना वायरस का खौफ सभी लोगों के ऊपर मंडरा रहा है, वहीँ दूसरी तरफ एक बड़ा सवाल यह भी सबके सामने है कि उत्तराखंड में शुरू होने वाली चारधाम यात्रा और मानसरोवर यात्रा से वहां रहने वाले लोगों को और यात्रियों को कोरोना से कैसे से दूर रखें। बुधवार को प्रदेश की स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने कोरोना से निपटने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी को लेकर सभी जिलों के सीएमओ के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की।

उन्होंने इस कांफ्रेंस में बोला कि  यात्रा सीजन शुरू होते ही लोगों की आवाजाही बढ़ने लगेगी। हर साल हजारों की तादाद में श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आते हैं। यही नहीं मानसरोवर यात्रा पर भी बढ़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। ऐसे में अत्याधिक सर्तकता बरतने की आवश्यकता है।

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गढ़वाल मंडल में अप्रैल से शुरू होने वाली चारधाम यात्रा व कुमाऊं मंडल में होने वाली मानसरोवर यात्रा के मद्देनजर आवश्यक तैयारी व किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचाव के लिए कार्ययोजना तैयार कर ली जाए।

कोरोना का असर

कोरोना वायरस ने अब वैज्ञानिक आयोजनों को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है। दिल्ली में 36वां अंतर भू-वैज्ञानिक कांग्रेस का आयोजन आठ मार्च को होना था, लेकिन कोरोना वायरस के चलते कांग्रेस को स्थगित कर दिया गया है। इसमें वीर चंद्र सिंह गढ़वाली औद्यानिकी एवं वानिकी विवि भरसार से भी छह वैज्ञानिकों को प्रतिभाग करना था।

आयोजन का संयोजन नेशनल जियो फिजीकल इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो. वीपी डिमरी ने किया था। आठ मार्च को होने वाली कांग्रेस में देश-विदेश से 10 हजार वैज्ञानिकों को शिरकत करनी थी।

कांग्रेस में दुनिया के भू-वैज्ञानिक व भूगोलवेत्ताओं ने हिमालय, मरुस्थल, उत्तरपूर्वी भारत, वैज्ञानिक भ्रमण सहित अनेक गतिविधियों में हिस्सा लेना था। भू- वैज्ञानिक कांग्रेस में उत्तराखंड से 50 वैज्ञानिकों ने शिरकत करनी थी। इनमें वाडिया संस्थान, कुमाऊं विवि, गढ़वाल विवि, आईआईटी रुड़की सहित अनेक संस्थानों के वैज्ञानिक शामिल हैं।

– राहुल जॉय

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