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महाराष्ट्र में शनिवार सुबह बड़े राजनीतिक उलटफेर के अंतर्गत बीजेपी ने एनसीपी दल के नेता अजित पवार के समर्थन से सरकार बना ली और देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली।
दोनों दलों ने मिलकर केवल कुछ घंटों में सरकार बनाने की वह रणनीति तय कर ली, जो चुनावी परिणाम के लगभग 29 दिन बीत जाने के बाद भी शिवसेना और कांग्रेस, एनसीपी के साथ मिलकर निर्धारित नहीं कर पा रहे थे।
सरकार बनाने की अनुमति
बीजेपी को अजित के सहयोग से सरकार बनाने का समर्थन पत्र मिल गया, जिसके बाद राज्यपाल ने दोनों दलों को सरकार बनाने की अनुमति दी और राजभवन में ही फडणवीस और अजित पवार को पद और गोपनीयता की शपथ दिलवाई।
सबसे ज्यादा अडंगे शिवसेना की तरफ से
सरकार बनाने के मसले पर लगातार बैठकों का दौर चल रहा था इसके बावजूद कई पेंच फंसे रहे। सबसे ज्यादा अडंगे शिवसेना की तरफ से लगे हुए थे। सूत्रों के मुताबिक उद्धव ठाकरे पूरे पांच साल शिवसेना के मुख्यमंत्री पद पर अड़े हुए थे, वहीं शरद के साथ-साथ अजित पवार इससे नाराज़ थे। शुक्रवार को शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस की दो घंटे महत्वपूर्ण बैठक काफी लंबी चली थी जिसमे शिवसेना ने यही शर्त रखी थी।
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एनसीपी का ढाई साल का सीएम
जबकि शरद पवार भी इस पर पूरी तरह से सहमत नहीं थे। वे एनसीपी का ढाई साल का सीएम चाहते थे और बैठक में यही मुद्दा सबसे ज्यादा चर्चित हो गया जिसके कारण बैठक का कोई नतीजा नहीं रहा। अजीत पवार भी दो उपमुख्यमंत्री पद के खिलाफ थे और इन्हीं सारे मुद्दों पर सहमति नहीं बन पा रही थी।
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मुख्यमंत्री के फॉर्मूले पर अड़े रहना
शिवसेना 5 साल तक अपने मुख्यमंत्री के फॉर्मूले पर अड़ी हुई थी। उद्धव ठाकरे की एक ये ही जिद थी जो तीनों दलों की साझा न्यूनतम कार्यक्रम के अंतर्गत सरकार का गठन नहीं कर पायी।
कट्टर हिंदुत्व के मुद्दों पर शिवसेना को खामोशी का अनुदेश
शुक्रवार को बैठक हुई थी जिसमें भी कांग्रेस और एनसीपी ने सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम के अंतर्गत कुल 27 मुद्दों की फेहरिस्त शिवसेना के सामने रखी थी, जिसमें कट्टर हिंदुत्व के मुद्दों पर शिवसेना को खामोशी का अनुदेश दिया गया था और कहा गया कि सरकार चलाने के दौरान नीतियों के खिलाफ किसी तरह की कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
नहीं बन पाई सहमति
वहीँ दूसरी तरह शिवसेना के एक सूत्र का यह भी कहना था कि उद्धव ठाकरे ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के प्रस्ताव पर सोचने के लिए वक्त मांगा था और वह इस पर राकांपा-कांग्रेस को शनिवार सुबह तक सूचित कर सकते थे, पर वह ऐसा न कर पाए। मतलब इस मसले पर कोई सहमति नहीं बन पाई।