जानिए गायत्री मंत्र के चमत्कार, इस तरह करें इस मन्त्र का जाप
समस्त धर्म ग्रंथों में गायत्री मन्त्र की महिमा का वर्णन किया गया है। सभी ऋषि-मुनि मुक्त कंठ से गायत्री का गुण-गान करते हैं। गायत्री मंत्र तीनों देव, बृह्मा, विष्णु और महेश का सार है। गीता में भगवान् ने स्वयं कहा है ‘गायत्री छन्दसामहम्’ अर्थात् गायत्री मंत्र मैं स्वयं ही हूं। गायत्री मंत्र छात्रों के लिए बहुत ही फायदेमंद है।
गायत्री मंत्र को शास्त्रों में बहुत ही चमत्कारिक और लाभ प्रदान करने वाला बताया गया है। मंत्र का नियमित रूप से सात बार जाप करने से व्यक्ति के आसपास की नकारात्मक शक्तियां दूर भाग जातीं है। गायत्री मंत्र का अर्थ है (उस प्राणस्वरूप दुखनाशक सुखस्वरूप श्रेष्ठ तेजस्वी पापनाशक देवस्वरूप परमात्मा को हम अंतःकरण में धारण करें वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें)। गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति तेजवान होता है और सभी मानसिक कष्टों से मुक्त होता है।
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जानिएं गायत्री मंत्र का जाप किस तरह करे, और क्या हैं इस मंत्र के लाभ
- गायत्री मंत्र से सभी तरह की मनोकामनायें पूर्ण होतीं हैं।
- गायत्री मंत्र का जाप सूर्योदय होने से दो घंटे पूर्व लेकर सूर्योदय तथा सूर्यास्त से एक घंटे पहले से प्रारंभ करके एक घण्टे बाद तक करना चाहिए।
- रात्रि में इस मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए।
- प्रातःकाल कुशा के आसन पर बैठकर पूर्वदिशा की तरफ गाय के घी का दीपक जलाकर रुद्राक्ष की माला से गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
- जाप करने से पहले तांबे के लोटे में गंगाजल जरूर रखें। जाप पूर्ण होने पर पूरे घर में छिड़क दें।
- इस मंत्र का जाप सदैव सुबह दोपहर या शाम के वक्त ही करें रात में जाप करने से फायदा जल्दी नहीं होगा।
- इस मंत्र का जाप हमेशा ढीले और साफ सुथरे कपडे पहनकर करें।
- इस मंत्र का जाप अनुष्ठान काल में घर में प्याज लहसुन मांस मदिरा आदि तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- इस मंत्र का जाप हमेशा एक वक्त और एक आसन तथा एक निश्चित दिशा में ही करना चाहिए।
- नियमित रूप से 108 बार गायत्री मंत्र का जप करने से बुद्धी को बल मिलता साथ ही याद रखने की क्षमता भी बढ़ती है।
- गायत्री मंत्र का जाप लाल या कुशा के आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से तीन माला जाप कर करना चाहिए।
- लगातार एक समय निश्चित करके ही जाप करना चाहिए।
रिपोर्ट – श्वेता वर्मा