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पितृदोष के कारण व्यक्ति को हमेशा रहती मानसिक परेशानी, जाने इसका निवारण
पितृदोष से पीड़ित व्यक्ति को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यदि आपकी जन्म कुंडली में दूसरे चौथे पांचवें सातवें नौवें दसवें भाव में सूर्य राहु या सूर्य शनि की युति हो तो समझ लीजिये कि आपकी कुंडली में पितृदोष है। इसके साथ ही सूर्य यदि तुला राशि में स्थित होकर राहु या शनि के साथ युति करें तो यह स्थिति अशुभ प्रभावों में और भी ज्यादा वृद्धि कर देती है।
इन ग्रहों की युति जिस भाव में होगी उस भाव से संबंधित व्यक्ति को अधिक कष्ट और परेशानी का सामना करना पड़ेगा और दिक्कतें दूर जाने का नाम नहीं लेंगीं। इसके आलावा लग्नेश यदि छठे आठवें बारहवें भाव में हो और लग्न में राहु हो तो भी पितृदोष की स्थिति बन जाती है।
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व्यक्ति को पितृदोष के कारण इन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है
- पितृदोष के कारण व्यक्ति को मानसिक परेशानी की समस्या हमेशा बनी रहती है।
- पारिवारिक संतुलन नहीं बैठ पाता है।
- बहुत अधिक धन कमाने के बाद भी घर में दरिद्रता बनी रहती है।
- खुद से कोई भी फैसला लेने में बहुत दिक्कतें आती हैं, व्यक्ति सही निर्णय नहीं कर पाता है जिससे दूसरों की सलाह ज्यादा लेनी पड़ती है।
- परीक्षाओं तथा साक्षात्कार में भी सफलता नहीं मिल पाती है।
- अगर आप नौकरीपेशा हैं तो अपने उच्च अधिकारियों की नाराजगी झेलनी पड़ती है।
- परिवार में वंश वृद्धि रूक जाती है और संतान प्राप्ति में बहुत अधिक समस्याएं आती हैं।
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अगर जन्मकुंडली नहीं है तो इस तरह पहचाने पितृदोष के लक्षण
- प्रातः के समय उठने के पश्चात् परिवार में अचानक कलह क्लेश बना रहता है।
- शादी की बात अक्सर बनते बनते बिगड़ जाती है।
- बार-बार चोट लगने लगती है और दुर्घटनाएं घटित होने लगती हैं।
- घर मे मांगलिक कामों में विघ्न आता ही रहता है।
- अक्सर घर की दीवारों में दरारें भी आती है।
- परिवार में या घर मे मेहमान आना बंद हो जाते है।
- वैवाहिक जीवन में कलह की वजह से जीवन मुश्किलें आने लगती है।
इन नियमों द्वारा दूर करें पितृदोष
- पितृदोष खत्म करने के लिए हर अमावस्या के दिन अपने पूर्वजों और पितरों के नाम से अपने अनुसार लोगों को दवा,वस्त्र और भोजन इत्यादि का दान करना चाहिए।
- सायंकाल हर गुरुवार और शनिवार के दिन पीपल की जड़ में जल अर्पित करें और फिर उसकी सात बार परिक्रमा करें।
- शुक्लपक्ष के रविवार के दिन प्रातःकाल भगवान सूर्यनारायण को तांबे के लोटे में जल गुड़ लाल फूल रोली आदि डालकर अर्पित करना चाहिए।
- माता पिता और उनके समान बुजुर्ग व्यक्तियों का चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लेंना चाहिए।
रिपोर्ट – श्वेता वर्मा