विधिवत लक्ष्मी जी की पूजा करने से दूर होती निर्धनता, नौकरी करने वाले इस तरह करें पूजन
माँ लक्ष्मी हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं। माँ लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं और उन्हें धन, सम्पदा, शान्ति और समृद्धि की देवी माना जाता हैं। दीपावली के त्योहार में तो उनकी गणेश सहित पूजा की ही जाती है लेकिन पितृ पक्ष में भी माँ लक्ष्मी जी के पूजन का बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि मां लक्ष्मी का जन्म समुद्र में हुआ था। माँ गायत्री की कृपा से मिलने वाले वरदानों में एक माँ लक्ष्मी भी है।
जिस किसी पर भी यह अनुग्रह उतरता है, वह दरिद्र, दुर्बल, कृपण, असंतुष्ट एवं पिछड़ेपन से परेशान नहीं रहता है। स्वच्छता एवं सुव्यवस्था के स्वभाव को भी ‘श्री’ कहा गया है। यह सद्गुण जहाँ पायें जाएँगे, वहाँ दरिद्रता, कुरुपता टिक नहीं पाएगी। इनकी पूजा से धन की प्राप्ति होती है साथ ही वैभव भी मिलता है। अगर लक्ष्मी रूठ जाती हैं तो व्यक्ति को घोर दरिद्रता का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष में इनका सम्बन्ध शुक्र ग्रह से जोड़ा जाता है।
किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर भोज का आयोजन करना अच्छा नहीं माना जाता है। इसकी जगह आप अपने अनुसार अन्न या वस्त्र का दान कर सकते हैं।
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आइए जानते हैं माँ लक्ष्मी की पूजा से किन फलों की होती है प्राप्ति?
- माँ लक्ष्मी की पूजा से धन और यश की प्राप्ति होती है और साथ ही दाम्पत्य जीवन भी बेहतर होता है।
- विधिवत लक्ष्मी जी की पूजा करने से निर्धनता दूर होती है।
- पितृ पक्ष में भी मां लक्ष्मी का विशेष पूजन किया जाता है जिससे पितरों के के साथ साथ मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त हो जाती है।
पितृ पक्ष में मां लक्ष्मी के पूजन की विशेष सावधानियां
- मां लक्ष्मी की पूजा वो लोग कर सकते हैं जिनके माता-पिता जीवित हों।
- यदि श्राद्ध में नियमों का पालन विधिवत कर रहे हैं तो मां लक्ष्मी की पूजा न करें।
व्यवसाय करने वाले इस तरह करे माँ लक्ष्मी का पूजन
- व्यवसाय की जगह पर लक्ष्मी जी, गणेश जी और विष्णु जी की स्थापना करनी चाहिए. विष्णु जी को लक्ष्मी जी के दाहिनी ओर और गणेश जी को बाएं ओर स्थापित करें।
- प्रतिदिन काम शुरू करने से पहले उनको एक गुलाब का फूल अर्पित करें।
- घी का दीपक प्रज्वलित करें और गुलाब की सुगंध वाली धूप जलाएं।
नौकरी करने वाले इस तरह करे माँ लक्ष्मी का पूजन
- कमल के फूल पर बैठी हुई लक्ष्मी जी के चित्र को पूजा के स्थान पर रखें।
- इस चित्र में यदि हाथी सूंढ़ में जल भरकर दोनों तरफ से गिरा रहे हों तो और भी श्रेष्ठ होगा।
- इस चित्र के सामने सायंकाल घी का दीपक जलाएं और मां को इत्र चढ़ाएं।
- रोज शाम पूजा की समाप्ति के बाद तीन बार शंख बजाएं।