लॉकडाउन के बीच आंखों में अगर हो रही है ये परेशानी, तो हो जाइए अलर्ट, तुरंत मिलिए डॉक्टर से
अगर आप भी डायबिटीज के मरीज हैं और मधुमेह रोग से बहुत ज्यादा परेशान हैं और इसके साथ ही लॉकडाउन के बीच आपको आंखों में भी कई प्रोब्लेम्स नज़र आ रही हैं तो अलर्ट हो जाइए। ये डायबिटिक रेटिनोपैथी की समस्या हो सकती है। उम्र बढऩे के साथ ही आज कल एआरएमडी मतलब एज रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेटिव नामक बीमारी सामने आ रही हैं। इसमें आंख की संरचना पर धीरे-धीरे प्रभाव पड़ने लगता है।
डायबिटीज के सभी मरीजों को अपनी आंखों का मुख्य रूप से ध्यान देना बहुत जरूरी है। आंख के आगे के हिस्से में लेंस होता है और पीछे वाले हिस्से में रेटिना। अधिकतर बीमारियाँ इसी से जुडी होती हैं। रेटिना की बाहरी परत पर स्थित ब्लड वैसल्स में होने वाले रक्त संचार में समस्या होने से आंखों के स्वास्थ पर बुरा प्रभाव पड़ता है। मरीजों में इससे जुड़ी दिक्कतें ज्यादा होती हैं। डायबिटिक रेटिनोपैथी इसमें अहम भूमिका निभाती है।
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मैक्युलर डिजनरेटिव रोग के लक्षण
इस रोग में आँखों में दर्द रहता है और देखने में समस्या पैदा होने लगती है। कई बार आंखों के अंदर सूक्ष्म नसों के फटने से रेटिना से खून बाहर आने लगता है। बार-बार चश्मे का नम्बर बढ़ने लगता है और आंखों में जल्दी-जल्दी और बार-बार इंफेक्शन की दिक्कतें होने लगती है। अक्सर सुबह उठने के बाद कम दिखाई देता है साथ ही सफेद व काला मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है। इन लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जैसे सिर में दर्द रहना, अचानक आंखों की रोशनी में कमी और आंखों में या आंखों से जुड़ी खून की शिराओं में रक्त के थक्के जमना। अगर ये लक्षण दिख रहे हों तो तुरंत इन रोगों का उपचार करना चाहिए।
इन चीजों का ध्यान रखना है जरूरी
- 21 वर्ष की उम्र तक चश्मे का नम्बर स्थिर होता है।
- इससे पहले चश्मे का नम्बर घटता-बढ़ता रहता है इसलिए चश्मा हटाने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
- 20-21 वर्ष की आयु के बाद चश्मे का नम्बर एक साल से वही है तो ही लेसिक लेजर का इस्तेमाल करें।
- आंख के पर्दे में ऐसी कोई समस्या न हो जिससे कि लेसिक करवाने के बाद प्रोब्लेम्स बढ़ जाएँ।
- 5 साल से डायबिटीज से परेशान है तो आंख के पर्दे की तुरंत जांच कराएं।
- इनमें कोई दर्द या आंख में लालिमा नहीं होती लेकिन रोग के बुरे प्रभाव आंख पर बढ़ते जातें हैं।
- एलर्जी या प्रदूषण की वजह आंख में एलर्जी होने पर सामान्य नेत्र विशेषज्ञ को दिखाएं।
- वहीं आंख की छोटी नस यदि बाहर से फट जाए तो लालिमा नज़र आने लगती है।
- ब्लड प्रेशर की जांच कराएं और रोजाना दवाएं लें।
- विटामिन ए, सी, ई के लिए मौसमी फल व हरी सब्जियों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें।
- टमाटर, गाजर, अमरूद, ककड़ी, खीरा, अनार, पालक, लौकी, दलिया का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें।
- 70-80 % मरीज जिनकी डायबिटीज कंट्रोल है, रेटिनोपैथी से नुकसान नहीं होता। शुरुआती स्टेज में स्वत: समाप्त हो जाती है।
- कुछ में लेजर सर्जरी व सूजन कम करने के इंजेक्शन आंख के पर्दे पर लगाते हैं।
- सर्जरी भी करते हैं।गैजेट्स के प्रयोग से कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम (आंखों में दर्द व थकान) होता है।
- 20 मिनट बाद 20 फुट दूर रखी वस्तु देखें व 20 बार पलकों को झपकाएं।
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