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कहीं आपके घर में बहुत लड़ाई-झगड़े तो नहीं होते, ये हो सकती है बड़ी वजह
अगर हम चीजों को वस्तुशास्त्र के अनुसार रखते हैं तो उनका शुभाशुभ फल पाने के हकदार होते हैं | आपको पता है वास्तु शास्त्र की उत्पत्ति कहाँ से हुई ? सूरज और धरती के कारण ही वास्तु शास्त्र का श्रीगणेश हुआ है।
जिन मकानों की वायव्य, आग्नेय, नैऋत्य कोण वाली दिशाओं में कुएं या गड्ढे हो, तो ऐसे मकानों में अधिकतर लड़ाई-झगड़े होते हैं। ऐसे मकानों के लक्षणों को देखते हुए यह पूरी तरह से कहा जा सकता है कि वास्तु शास्त्र का बहुत ही महत्व है। हम सभी को वास्तुशास्त्र के नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए |मकान में बारिश के पानी या कृत्रिम पानी के निकलने का स्थान हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा की तरफ ही होनी चाहिए।
आइए जानते है कुछ वास्तु शास्त्र के आधारभूत नियम
- कमरे में ईशान दिशा से सटाकर मच्छरदानी की डंडियां, झाडू और घर की बेकार रखी चीजों को नहीं रखना चाहिए। इस प्रकार की वस्तुएं घर के अंदर रखने से गरीबी आती है।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार व्यापार करने वाले कार्यालयों में आफिस की लॉबी मध्य में आफिस में पूजा करने का स्थान ईशान दिशा में, एकाउंट विभाग का स्थान पश्चिम दिशा में, चैयरमैन का कमरा उत्तर-पूर्व दिशा में और प्रशासनिक कमरा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए |
- मकान के बाहर की तरफ पेड़ों को लगाते वक़्त यह ध्यान रखना चाहिए कि पेड़ मकान से इतनी दूरी हो कि उस पर 9 बजे से तीन बजे तक की धूप, पेड़ की छाया बनकर मकान पर नहीं आनी चाहिए।
- मकान के पास में बेर के पेड़ की झाड़ी, कांटों के पेड़, किसी प्रकार की कटारी, जिन पेड़ों में से दूध निकलते हों तथा महुआ आदि के पेड़ों को नहीं लगवाना चाहिए।
- दुकान, फैक्ट्री तथा मकान के सामने के दरवाजे के पास किसी प्रकार की रुकावट का सामान (खंभा, पेड़ आदि) नहीं होना चाहिए, इन बातों को ध्यान में रखकर ही हमेशा दुकान, फैक्ट्री तथा मकान को बनवाना चाहिए।