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ऐन्यरिज्म का बढ़ रहा खतरा, जानिए क्या है ये बड़ी बीमारी

हमारी बॉडी में हार्ट से बॉडी के सभी हिस्सों तक धमनियां (आर्टरीज़) रक्त पहुचती हैं। ऐन्यरिज्म वह स्थिति होती है, जिसमें धमनी की दीवार कमजोर हो जाती है और अधिक दबाव से वह गुब्बारे की तरह फूल जाती है। जब ऐसा मस्तिष्क की किसी धमनी में होता है, तो येही ब्रेन ऐन्यरिज्म कहलाता है। कभी कभी यह दबाव इतना ज्यादा हो जाता हैं कि धमनी फट तक जाती हैं और रक्त बाहर निकलने लगता है।

विश्वभर में 100 में से हर तीन को यह बीमारी होती है। मतलब उसके मस्तिष्क में अन्दर कहीं न कहीं आंतरिक रक्त स्राव होता रहा है मस्तिष्क के पिछले हिस्से में ऐन्यरिज्म की वजह से धमनियों के फटने की आशंका ज्यादा रहती है, ब्रेन के आगे के हिस्से के बजाए ऐन्यरिज्म के ज्यादातर मामले सिटी स्कैन, एमआरआई या अन्य टेस्ट करवाते समय पता चलते हैं। मस्तिष्क में किसी धमनी के इस तरह फटने से ब्रेन स्ट्रोक या हेमरेज होता है।

जाने क्यों होता है रक्तस्त्राव (खून बहना )

ऐन्यरिज्म की सही वजह तो अब तक पता नहीं है, लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि इसका संबंध हाई ब्लड प्रेशर, ब्रेन ट्रॉमा (मस्तिष्क आघात), एथेरोस्क्लेरोसिस (कोलेस्ट्रॉल के कारण धमनियां अवरुद्ध होना) या कुछ किस्सों में वंशानुगत वजह हैं। यही स्थिति इन्सानी शरीर में कई तरह के डेवलपमेंटल डिसऑर्डर के लिए भी जिम्मेदार होती है।

जाने ऐन्यरिज्म के लक्षण

मस्तिष्क में अतिरिक्त दवाब पड़ने पर ही बराबर हो रहे ऐन्यरिज्म का पता चल पाता है। इस स्थिति में ये लक्षण दिख सकते हैं- धुंधला नजर आना, आंखों पर दर्द, सिरदर्द, चेहरे पर दर्द और बोलने में दिक्कत आना। ऐन्यरिज्म की वजह धमनी फटने पर तेजी से सिरदर्द होता है। गर्दन अकड़ जाती है और बेहोशी आती है।

आमतौर पर ऐन्यरिज्म के लक्ष्ण आसानी से पहचान में नहीं आते हैं, इसलिए जब तक स्ट्रोक नहीं होता है, इसे डायग्नोस करने में परेशानी आती है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजीकल डिसऑर्डर्स एंड स्ट्रोक, यूके के मुताबिक, ऐन्यरिज्म के कारण धमनी फटने से 25 फीसदी लोग पहले 24 घंटों के अंदर या अन्य जटिलताओं के कारण 6 माह में जान से हाथ गवां बैठते हैं। जो जिंदा बच जाते हैं, उनमें न्यूरोलॉजिकल डैमेज होता है और ब्रेन का कुछ हिस्सा काम करना बंद कर देता है।

कैसे करे इस खतरनाक बीमारी का इलाज

ऐन्यरिज्म के इलाज के विकल्प बहुत कम हैं। एंडोवस्कुलर कोइलिंग एक उपाए ये है कि इसमें खोपड़ी को खोलकर सर्जरी करने के बजाए एक कोइल को धमनी के द्वारा ब्लड में भेजा जाता है और उस ऐन्यरिज्म पर लगाया जाता है जहां से ब्लड बह रहा है।

दूसरा उपाए सर्जिकल क्लिपिंग है। इसमें खोपड़ी खोलकर ऐन्यरिज्म की जगह पर जाते हैं और ब्लड को बहने से रोका जाता है।

तीसरा उपाए है डाइवर्टर्स का उपयोग है, जिनकी हेल्प से धमनी को फटने से बचाया जाता है।

रिपोर्ट – श्वेता वर्मा 

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