हिमांगी सखी को मिली महामंडलेश्वर की उपाधि, वृंदावन में बांकेबिहारी के किए दर्शन
रिपोर्ट: द्वारकेश बर्मन
वृन्दावन। प्रयागराज कुंभ में पशुपति पीठ अखाड़े से महामंडलेश्वर की उपाधि मिलने के बाद हिमांगी सखी रविवार को वृंदावन पहुंचीं। यहां उन्होंने ठाकुर बांकेबिहारी, राधारमण और राधा बल्लभ मंदिर में दर्शन किए। पूजा-अर्चना कर भगवान का आशीर्वाद लिया। हिमांगी सखी ने कहा कि अब इस महामंडलेश्वर का फिल्मी दुनिया से कोई नाता नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ब्रजवासियों का स्नेह-प्रेम और बिहारी जी का आशीर्वाद का ही यह परिणाम है कि आज उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि से सम्मानित किया गया है।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया कि इसी भूमि पर इस्कॉन मंदिर में 18 वर्ष की आयु में रहकर किए गए शास्त्रों का अध्ययन से ही यह सब संभव हुआ है। इसके लिए वो जीवन में कभी बांके बिहारी का धन्यवाद अदा नहीं कर सकती।
भागवत वक्ता के साथ अभिनय की दुनिया में नाम
हिमांगी ने कहा कि मैं किन्नर नहीं बल्कि श्याम की सखी हूं, क्योंकि सखी ही भगवान के चरणों के सबसे निकट है। मानव का जन्म अनमोल है। 84 लाख योनि के बाद ये जन्म मिलाता है। अपने लिए तो हर कोई जीता है क्यों ने हम दूसरों के लिए जीएं।
बता दें कि एक प्रतिष्ठित परिवार में जन्मी हिमांगी सखी महामंडलेश्वर बनने से पहले आशुतोष राणा के साथ 2005 में रिलीज फिल्म शबनम मौसी के अलावा, डाउन टाउन, दक्षिण की फिल्म थर्ड मैन और भोजपुरी फिल्म बाप रे बाप में भी काम कर चुकीं हैं।
किशोरावस्था में ही उनके माता-पिता का निधन हो गया। वर्ष 1999 में अपनी छोटी बहन की शादी के बाद हिमांगी ने पूरा जीवन कृष्ण को समर्पित कर दिया। वो अब तक मॉरीशस, बैंकॉक, सिंगापुर, हांगकांग देशों समेत 50 जगहों पर भागवत कथा कर चुकीं है।