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मप्र : शिवराज ने थामा कमलनाथ-सिंधिया का हाथ

 भोपाल 17 दिसंबर (आईएएनएस)| संभवत: सियासत में जो तस्वीरें कम ही देखने को मिलती हैं, वे मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में नजर आ गईं।

  निवर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नवनियुक्त मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का हाथ थमते हुए हवा में उछाल दिए। जंबूरी मैदान पर हजारों लोगों की मौजूदगी में शिवराज सिंह चौहान के अलावा भाजपा के दो अन्य पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी व बाबूलाल गौर भी थे। चौहान के दाईं तरफ सिंधिया और बाईं तरफ कमलनाथ थे। स्वागत की औपचारिता हुई। तीनों ने एक दूसरे को नमस्कार किया। उसके बाद एक ऐसा नजारा दिखा जो अमूमन एक ही दल के नेताओं में नजर आता है।

तीनों नेताओं ने एक दूसरे के हाथ पकड़े। चौहान बीच में थे और सिंधिया व कमलनाथ आजूबाजू। तीनों ने हवा में हाथ उछाले ओर उनके चेहरों पर खुशी का भाव साफ पढ़ा जा सकता था। लग रहा था जैसे तीनों संदेश दे रहे हो कि प्रदेश के विकास में सब साथ हैं। दल भले अलग हो मगर मंतव्य एक हैं।

सिंधिया को उप मुख्यमंत्री या कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने की मांग को लेकर दिल्ली में डेरा डाले 20 से ज्यादा विधायकों की सिंधिया के निर्देश पर भोपाल वापसी कर दी है। यह विधायक सोमवार को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे।

सिंधिया के समर्थक विधायक शनिवार से दिल्ली में सिंधिया के आवास पर डेरा डाले हुए थे। विधायकों की मांग थी कि सिंधिया राज्य सरकार में बतौर उप-मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाले अथवा प्रदेशाध्यक्ष बनें। सिंधिया ने शनिवार को विधायकों को हिदायत दी और फिर रविवार को साफ कहा कि दिल्ली से भोपाल पहुंचे और शपथ समारोह में हिस्सा लें। सिंधिया के निर्देश पर सभी विधायक भोपाल को लौट आए।

चुनाव प्रचार अभियान समिति के संयोजक रहे मनीष राजपूत ने आईएएनएस को फोन पर बताया कि सिंधिया के निर्देश पर सभी विधायक भोपाल के लिए रवाना हो चले हैं। विधायकों की मांग है कि चुनाव सिंधिया को आगे रखकर लड़ा, इसलिए बड़ी जिम्मेदारी स्िंाधिया को दी जाना चाहिए। पार्टी हाईकमान के फैसले से सभी सहमत है, मगर प्रदेशाध्यक्ष अथवा उपमुख्यमंत्री जैसे पद की जिम्मेदारी सिंधिया को दी जाए, ताकि जनभावनाओं का सम्मान हो सके।

राज्य में कांग्रेस बहुमत के करीब पहुंच गई है और समर्थन मिल गया है। मुख्यमंत्री पद के दो दावेदार थे, जिसमें पार्टी हाईकमान ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान कर दिया। कमलनाथ 17 दिसंबर को शपथ लेने वाले हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस के निर्वाचित विधायकों सिंधिया को उपमुख्यमंत्री अथवा प्रदेशाध्यक्ष बनाने की मांग कर डाली।

कांग्र्रेस सूत्रों का कहना है कि राज्य में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं है, वह निर्दलीय, बसपा और सपा के समर्थन से सरकार बनाने जा रही हैं। इस स्थिति में कांग्रेस को इस बात का खतरा है कि कहीं असंतोष के चलते पार्टी को नुकसान न हो जाए। विधायकों के दिल्ली जमावड़े को पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने गंभीरता से लिया और सिंधिया से चर्चा की। सिंधिया ने विधायकों की भावना से गांधी को अवगत कराया। सिंधिया ने एक लाइन का निर्देश विधायकों को दिया कि वे भोपाल पहुंचें और शपथ ग्रहण में हिस्सा लें। सिधिया के निर्देश पर सभी विधायक भोपाल को लौट चले हैं।

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