आज़ादी के 70 साल बाद चमोली जिले के सीमांत गांव घेस में पहुंची बिजली
उत्तराखंड में रविवार का दिन घेस गाँव के लिए एक ऐतिहासिक था। आजादी के 70 वर्षों बाद चमोली जिले में स्थित सीमांत गांव घेस में बिजली पहुंची थी।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घेस में आयेाजित कार्यक्रम में बिजली का स्विच आॅन कर गाँव में बिजली आपूर्ति की शुरूआत की। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी चमोली को घेस, हिमनी व बलाण गांवों के नियोजित विकास व स्थानीय लोगों की आय को बढ़ाने के लिए डीपीआर बनाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री के आग्रह पर केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नायक ने घेस क्षेत्र में राष्ट्रीय जड़ी बूटी संस्थान खोले जाने की सैद्धांतिक स्वीकृति की घोषणा की। उन्होंने घेस को आयुष ग्राम बनाने में उनके मंत्रालय की ओर से हर सम्भव सहयोग दिए जाने की बात भी कही।
हिमालय की त्रिसूली और नंन्दा घुंघटी की तलहटी में बसे देवाल ब्लाक के सीमांन्त गांव घेस में जड़ी बूटियों के संरक्षण, संवर्धन एवं विपणन के लिए कुटकी जडी बूटी महोत्सव का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री व केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नायक चमोली जिले के सीमांत गांव घेस में आायेजित कुटकी महोत्सव में शामिल हुए।
घेस में जड़ी बूटी के जरिए स्थानीय लोगों की आर्थिकी के तंत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए पहल शुरू की गई है। इसी के तहत घेस में कुटकी जड़ी बूटी महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें कुटकी के महत्व पर विचार विमर्श करते हुए इसके उत्पादन, संवर्धन व विपणन के लिए ठोस नीति तैयार करने पर जोर दिया गया, ताकि कुटकी के उत्पादन से जुड़े सीमांत क्षेत्र के किसानों को इसका लाभ मिल सके।
मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी चमोली को घेस, बलाण व हिमनी गांवों के सुनियोजित विकास के लिए डीपीआर बनाने के निर्देश दिए। वहां के स्थानीय संसाधनों का उपयोग करते हुए स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप किस तरह से स्थानीय लोगों की आय को दोगुना किया जा सकता, विशेषज्ञों की सहायता से विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जाए। इन गांवों को माॅडल विलेज के तौर पर विकसित किया जाना है। इसमें ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी भी जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने क्षेत्र में जैविक खेती प्रमाणन की प्रक्रिया शुरू करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जैविक खेती से उत्पादों की अच्छी कीमत मिलती है। परंतु इसकी प्रक्रिया में 3 वर्ष लगते हैं। इसलिए इसकी शुरूआत जल्द से जल्द की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बांस, हैम्प आदि से भी काश्तकारों की आय को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। आज जरूरत है ऐसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने की जिनकी वैश्विक मांग हो।
मुख्यमंत्री ने दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण ज्योति योजना एवं सौभाग्य योजना के अन्तर्गत घेस में विद्युतीकरण कार्य लागत 4.00 लाख, जल निगम की सरमाता घेरू घन्ना पेयजल योजना लागत 74.86 लाख, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय घेस लागत 49.30, कृषि विपणन केन्द्र घेस लागत 20.00 लाख तथा जड़ी बूटी ड्राइंग शैड लागत 2.25 लाख की विकास योजनाओं की शुरूआत की।