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देश को तीन लाख करोड़ की पर्यावरणीय सेवाएं दे रहा उत्ताखंड, केंद्र से मांगा अनुदान

15वें वित्त आयोग ने राजस्व घाटा अनुदान (आरडीजी), जीएसटी से राज्य की आमदनी में 39 फीसद की कमी, तकरीबन हर साल आपदा से हो रहे बड़े नुकसान और पर्यावरणीय सेवाओं और प्रतिबंधों से राज्य की आर्थिक हालत में गिरावत को कम करने के लिए सरकार ने एक समाधान खोज निकाला है।

उत्तराखंड अब केंद्र सरकार के सामने ऑक्सीजन की कीमत के लिए खड़ा होगा। राज्य मौजूदा समय में करीब तीन लाख करोड़ की पर्यावरणीय सेवाएं दे रहा है। राज्य की वन संपदा लगभग 98,000 करोड़ है। लेकिन इसके वावजूद इस संपदा को संजोए रखने के लिए प्रदेश को हर वर्ष करोड़ों का घाटा झेलना पड़ रहा है।

ऐसे में 15वें वित्त आयोग ने राजस्व घाटा अनुदान (आरडीजी), जीएसटी से राज्य की आमदनी में 39 फीसद की कमी, तकरीबन हर साल आपदा से हो रहे बड़े नुकसान और पर्यावरणीय सेवाओं और प्रतिबधों से राज्य की आर्थिक प्रगति में आ रही बाधाओं के समाधान भरोसा बंधाया है।

आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह ने कहा कि आयोग राजस्व घाटा अनुदान देने समेत अन्य मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक और सकारात्मक दृष्टि से विचार करेगा। ऐसे में वर्ष 2020 से 2025 तक पांच वर्षों के लिए केंद्र सरकार से अधिक मदद राज्य को मिल सकती है।

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