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राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून में प्रसूता की मौत के मामले की एनएचएम ने की जांच

जल्द पूरा किया जाएगा प्रसूती विभाग के निर्माणाधीन भवन का काम

राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून के स्त्री रोग विभाग में 19 सितम्बर, 2018 को गर्भवती महिला की मृत्यु के बाद मिशन निदेशक एनएचएम ने दून मेडिकल कॉलेज के स्त्री/प्रसूती रोग विभाग का निरीक्षण किया।
उत्तराखंड के अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पन्त ने बताया,” राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून के स्त्री रोग विभाग में 19 सितम्बर, 2018 को गर्भवती महिला सुचिता (उम्र 27) पत्नी रमेश निवासी मसूरी की मृत्यु और उससे संबंधित समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर का संज्ञान लेते हुए मिशन निदेशक एनएचएम ने दून मेडिकल कॉलेज के स्त्री/प्रसूती रोग विभाग का निरीक्षण भ्रमण दिनांक 20 सितम्बर, 2018 को किया है।”
” भ्रमण के क्रम में स्त्री रोग विभाग के चिकित्सकों, स्टॉफ नर्सों और प्रधानाचार्य मेडिकल कॉलेज से वार्ता के साथ-साथ लेबर रूम का भ्रमण, ब्लड बैंक की प्रोसेसिंग की जानकारी ली गई और अभिलेखों का परिक्षण भी किया गया। निरिक्षण भ्रमण और अभिलेखों के निरिक्षण से कुछ प्रमुख बातें सामने आई हैं।” अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पन्त ने आगे बताया।
  •  सुचिता पत्नी रमेश हाल निवासी मसूरी की यह दूसरी गर्भावस्था थी।
  • सुचिता दून अस्पताल में दिनांक 15 सितम्बर, 2018 को गर्भावस्था के सातवें माह में भर्ती हुई थी। भर्ती के समय सुचिता का हिमोग्लोबिन 7 ग्राम/डेसिलीटर ही था। रोगी का रक्त समूह बी-नेगेटिव था जोकि एक रेयर रक्त समूह है। इसके साथ ही दून चिकित्सालय से इस रक्त समूह की दो यूनिट उपलब्ध कराई गई। रिपोर्ट में यह बताया गया है कि रक्त चढ़ाए जाने के कारण यह प्रतिक्रिया हुई।
  • अभिलेखों मे कई स्थानों पर उल्लेख है कि सुचिता दिनांक 15 सितम्बर, 2018 को भर्ती के बाद से ही अपने चिकित्सालय प्रवास काल में कई बार अपनी शैयया पर उपलब्ध नहीं थी और आंतरिक परिक्षण करवाने के साथ साथ कैथेटर नली डलवाने की अनुमति नहीं दे रही थी, जिससे चिकित्सकों को इलाज करने में असुविधा हो रही थी।
  • दिनांक 18 सितम्बर, 2018 की साम से रक्त चढ़वाने की प्रतिक्रिया स्वरूप बुखार होने और फेफड़ों में संक्रमण के लक्षण होने के बाद भी सुचिता अपनी शैयया पर और लेबर रूम में आने को तैयार नहीं हो रही थी। दिनांक 19 सितम्बर, 2018 को सुचिता का दून मेडिकल कॉलेज में अल्ट्रासाउण्ड परिक्षण किया गया, जिसमें पाया गया कि गर्भस्थ शिशु का विकास गर्भकाल के सापेक्ष कम है (वजन 835 ग्राम)।
  • इसी क्रम में सुचिता को गर्भावस्था के सातवें महीने में ही दिनांक 19 सितम्बर, 2018 को प्रातः 5.15 बजे मृत शिशु का प्रसव हुआ और इस अवस्था में सुचिता की पहले से ही खराब तबीयत और ज्यादा खराब होने पर सीपीआर किए जाने के बाद भी प्रसूता को बचाया नहीं जा सका। उन्हें सुबह 6.44 पर मृत घोषित किया गया।
  • इससे पहले उनकी अल्ट्रासाउण्ड जांच दिनांक 26 जून, 2018 को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मसूरी में की गई थी। गर्भस्थ शिशु के भार आंकलन के लिए संदर्भित किया गया था। जिसके क्रम में दिनांक 08 सितम्बर, 2018 को सुचिता का अल्ट्रासाउंड दून मेडिकल कॉलेज में किया गया। जिसमें पाया गया कि गर्भस्थ शिशु का विकास गर्भकाल के सापेक्ष कम है (वजन 715 ग्राम)। दिनांक 08 सितम्बर, 2018 को सुचिता दून मेडिकल कॉलेज में हिमोग्लोबिन मात्र 04 ग्राम/डेसिलीटर किया गया, जिस के लिए उन्हें 02 यूनिट रक्त चढ़ाया गया था।
  • निरिक्षण के क्रम में पाया गया कि लेबर रूम और प्रसूती ऑपरेशन कक्ष में सुधार होने की ज़रूरत है और प्रसूती विभाग के निर्माणाधीन भवन का काम जल्द पूरा किए जाने की आवश्यकता है।
अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पन्त ने आगे बताया कि तुरंत निरिक्षण के क्रम में ज्ञात उपरोक्त बिन्दुओं के अतिरिक्त प्रश्नगत प्रकरण की गहन समीक्षा, दायित्व निर्धारण और ऐसे ऐसे प्रकरणों को दोबारा होने से रोकने के निहितार्थ सुझावों के लिए एक समीक्षा दल का गठन प्रस्तावित है,जिसके सदस्य मातृ स्वास्थ्य सलाहकार और विभागाध्यक्ष प्रसूती रोग विभाग एम्स ऋषिकेश होंगे।
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