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यौन व प्रजनन स्वास्थ्य पर जागरूकता से लगेगी जनसंख्या पर लगाम

भारत में यौन व प्रजनन स्वास्थ्य के मामले में युवाओं के बीच काफी अज्ञानता

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का यह कहना है कि जनसंख्या वृद्धि एक सामाजिक मुद्दा है। इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके कारणों में लैंगिक असमानता, यौन व प्रजनन स्वास्थ्य के मामले में युवाओं के बीच अज्ञानता और परिवार नियोजन की कमी प्रमुख हैं।

विश्व में प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है। दुनिया की आबादी 7.6 अरब है जबकि भारत और चीन की संयुक्त जनसंख्या 2.7 अरब है, जो एक चिंता का विषय बनकर उभरा है।

हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा, ” यौन स्वास्थ्य किसी के समग्र स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यौन स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए स्वस्थ जीवनशैली का पालन करना आवश्यक है। यौन और प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य में पारस्परिक मुद्दों और चुनौतियों की एक श्रृंखला शामिल है।”

उन्होंने आगे कहा कि इस तथ्य के बारे में जागरूकता पैदा की जानी चाहिए कि जनसंख्या में वृद्धि भी एक सामाजिक मुद्दा है। जिन कारकों पर अब तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है, उनमें लैंगिक असमानता, यौन व प्रजनन स्वास्थ्य के मामले में युवाओं के बीच अज्ञानता और परिवार नियोजन की कमी प्रमुख हैं।

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