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मन को शांत रखने के लिए संगीत की भूमिका अहम

राग चिकित्सा की मदद से मस्तिष्क में होने वाला कंपन देता है मन को शांति

सात सुरों के सरगम तबला, हारमोनियम, सितार, वीणा, तानपुरा और कई वाद्य यंत्रों की मदद से निकलने वाला संगीत मस्तिष्क में कंपन कर उसे शांति प्रदान करता है।

भारतीय संगीत के सा, रे, ग, म, प, ध, नी, सा सरगम की ध्वनि कोमल या फिर तेज़ स्वर की तुलना में आप झरनें, पवन, कोयल, मोर, पेड़-पौधे, पशु-पक्षियों के प्राकृतिक मधुर संगीत को आराम के साथ सुन सकते हैं। भारतीय संगीत गायन, वादन, नृत्य हो या फिर प्राकृतिक संगीत सभी में सात सुरों के सरगम का समावेश है।

राग चिकित्सा, नाद योग पुरातन समय से हमारे देश में आज भी प्रयोग की जाने वाली संगीत चिकित्सा है,जो आपके अंर्तमन को उच्च जीवनी शक्ति प्रदान कर संवृद्ध कर कैंसर जैसी लाइलाज रोग को भी मात देने में काफी हद तक सफल है।

नाद योग द्वारा लयबद्ध श्वांस लेने की एक निश्चित आवृत्ति वाद्य यंत्र ध्वनि उत्पन्न करती है, जिसका निरंतर प्रयोग मानव शरीर के मेरुदंड में सातों चक्रों के प्रबंध तक पहुंचती है। कुछ चुने गए रागों के माध्यम से संगीत मनोचिकित्सकों द्वारा अवसाद, विषाद, दबाव, प्रतिबल जैसे मानसिक दिक्कतों के मनोभाव, आवेश, संवेग, चित्त क्षोभ को दूर करके व्यक्ति को मानसिक रूप से स्वस्थ बना कर ऊर्जा का मस्तिष्क में संचार करते हैं।

संगीत सकारात्मक आत्मछवि का निर्माण कर जीवन की शारीरिक व मानसिक समस्याओं का सामना करने की नीतिगत विचार तकनीक सिखाता है। संगीत ध्यान को स्थिर करके श्वांसों की निश्चित स्थिर गति योग अचेतन मस्तिष्क की मधुर तरंगों को उदीप्त करती है। अक्सर हमने देखा है कि रोते हुए बच्चे मधुर संगीत सुनकर सो जाते हैं, जिससे हम सभी जानते हैं कि संगीत मस्तिष्क पर प्रभाव डालता है। कुछ अच्छे शब्दों को बोलने की अपेक्षा लयबद्ध संगीत बच्चे के मन को शांति देने में प्रभावी है।

  • लेखिका डॉ. गार्गी सिंह – आईएएनएस/आईपीएन।
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