एलोपैथिक दवाओं की रैंकिंग में आयुर्वेदिक दवा को मिला 14वां स्थान
डायबिटीज़ रोधी दवा बीजीआर-34 के सफल परीक्षण के बाद सिद्ध हुई यह बात
ऐसा पहली बार हुआ है कि आयुर्वेदिक दवाओं को एलोपैथिक चिकित्सा जगत में ऊंचा स्थान दिया है। आयुर्वेदिक फार्मूले पर बनी दवाओं को एलोपैथिक दवाओं की रैंकिग में 14वां स्थान मिला है। यह शीर्ष स्थान आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री और प्रभावकारिता के आंकड़ों के कारण मिला है।
सीएसआईआर की दो प्रयोगशालाओं ने डायबिटीज़ रोधी दवा बीजीआर-34 का निर्माण कर वर्ष 2015-16 के दौरान इसे बाजार में उतारा। यह दवा बेहद सफल साबित हुई है। इसे पिछले दो सालों के दौरान बाजार में लांच की गई 6,367 दवाओं में शीर्ष 14वें स्थान पर रखा गया है।
विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी मंत्रालय ने अपनी चार साल की उपलब्धियों में मधुमेह रोधी दवा बीजीआर-34 की खोज और इसे सफलतापूर्वक बाज़ार में लाने को बड़ी उपलब्धि माना है। विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी मंत्री डा. हर्षवर्धन ने गुरुवार को चार साल की उपलब्धियों को लेकर संवाददाता सम्मेलन की जबकि सीएसआईआर के महानिदेशक डा. गिरीश साहनी ने इस मौके पर उपलब्धियों को लेकर प्रजेंटेशन दिया।
मंत्रालय द्वारा उपलब्धियों को लेकर जारी दस्तावेज में बताया गया है कि बीजीआर-34 रक्त में शर्करा की मात्रा कम करने में कारगर है। मधुमेह के एलोपैथी इलाज के साथ-साथ इसे लिया जा सकता है।
दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और कर्नाटक में 18 महीनों तक मरीजों पर हुए परीक्षण में यह दवा प्रभावी पाई गई है। करीब 67 फीसदी मरीज़ों में सेवन के तीन चार दिनों के भीतर ही इसका सकारात्मक प्रभाव दिखने लगा था।