माता–पिता में नामकरण पर हुआ विवाद तो हाईकोर्ट ने रखा बच्चे का नाम
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आमतौर पर बच्चे का नामकरण उसके माता–पिता या उनके ही परिवार का कोई सदस्य किया करता है। लेकिन बच्चे के नामकरण को लेकर जब अलग–अलग धर्मों के माता–पिता के बीच उपजा विवाद केरल हाईकोर्ट जा पहुंचा तो कोर्ट ने ही बच्चे का नाम रख दिया। इसके अलावा कोर्ट ने रजिस्ट्रार को दो हफ्ते के भीतर जन्म प्रमाण पत्र जारी करने का भी निर्देश दिया।
माता–पिता के बीच नाम रखने के मुद्दे पर वैवाहिक विवाद शुरू हो गया है। इसके बाद कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप किया। अलग रह रहे दंपति में से , बच्चे की मां का कहना था कि उसका नामकरण ‘ जॉन मनी सचिन ’ के रूप में किया गया है लेकिन पिता ने कहा कि जिस नाम पर सहमति बनी है वह ‘ अभिनव सचिन ’ है।
पिता ने अदालत को बताया कि बच्चे के जन्म के 28 वें दिन नामकरण समारोह में उनके दूसरे बच्चे का नाम अभिनव सचिन रखने पर सहमति बनी थी ।अदालत को लगा कि बच्चे को एक नाम देने की तत्काल आवश्यकता है , क्योंकि स्कूल में दाखिले के लिए उसके जन्म प्रमाण पत्र की आवश्यकता होगी।
केरल हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए के जयशंकर नाम्बियार ने माता पिता के बीच पैदा हुए मतभेद का संज्ञान लिया और दंपति की इच्छा का सम्मान करते हुए बच्चे का नामकरण ‘ जॉन सचिन ’ के रूप में कर दिया।
न्यायाधीश ने कहा कि ‘ जॉन ’ बच्चे के मां की इच्छा का प्रतिनिधित्व करेगा जबकि सचिन से पिता की जरूरतें पूरी होंगी और यह पता चलेगा कि यह बच्चा उसका है। रिट याचिका का निपटारा करते हुए न्यायाधीश ने जन्म एवं मृत्यु रजिस्ट्रार से फैसले की प्रति मिलने की तारीख से दो हफ्ते के भीतर जन्म प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दिया।