गायत्री प्रसाद को बचाने वालों को उंगली उठाने का हक नहीं : दिनेश शर्मा
लखनऊ, 14 अप्रैल (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने शनिवार को कहा कि जो लोग गायत्री प्रसाद प्रजापति को अंतिम दम तक बचाने में लगे रहे, उन्हें वर्तमान सरकार पर उंगली उठाना शोभा नहीं देता। उनका इशारा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ओर था।
उपमुख्यमंत्री का यह बयान साबित करता है कि सरकार बदली है, लेकिन जो कुछ पहले हो रहा था, वही अब भी हो रहा है। सिर्फ चेहरे बदल गए हैं। पहले के निजाम में खलनायक प्रजापति रहे तो अब के निजाम सेंगर।
सहारनपुर के दंगों और आए दिन अंबेडकर की मूर्तियां तोड़े जाने, मूर्ति का भगवाकरण किए जाने जैसे वाकयों पर पर्दा डालते हुए शर्मा ने कहा, वर्तमान योगी सरकार पिछले एक साल में दलितों और असहाय लोगों के साथ हमेशा साथ खड़ी रही है।
लाल बहादुर शास्त्री भवन में पत्रकारों से बातचीत में उपमुख्यमंत्री ने कहा, शिक्षा विभाग में भी सरकार ने सीधे काम करने का काम किया है। सीधे काम करना क्या होता है, यह मंत्री ही जानें।
दिनेश शर्मा ने कहा, हम जब अंबेडकरजी की जयंती मना रहे हैं, तब यह कहना जरूरी है कि अंबेडकरजी का नाम लेने वाले ही अंबेडकरजी को सम्मान नहीं दे पाए हैं। हमने अंबेडकरजी को सम्मान देने का काम किया है। दलित उद्योगपतियों को लिए अलग से काम किया गया है।
उन्होंने कहा, शिक्षा, स्वास्थ्य व पेयजल की स्थिति अच्छी हो, इसके लिए हमारी सरकार ने योजना बनाई, खासकर वहां-वहां काम हुआ, जहां दलित लोग अधिक हैं। स्टार्टअप योजना में भी इस बात का ध्यान रखा गया है कि सभी वर्गो को मुख्यधारा से जोड़ा जा सके।
उपमुख्यमंत्री ने कहा, हम सबका साथ सबका विकास के नारे के साथ काम कर रहे हैं। वहीं कुछ लोग अंबेडकर की नीति को कमजोर करने का काम कर रहे हैं।
अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए दिनेश शर्मा ने कहा कि जिन लोगों के समय क्राइम का ग्राफ काफी बढ़ा हुआ था, उन्हें मौजूदा सरकार पर उंगली उठाना शोभा नहीं देता।
गायत्री प्रसाद प्रजापति का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि महिला की शिकायत के बाद भी बिना सुप्रीम कोर्ट के आदेश के एफआईआर नहीं लिखी गई थी। लोग अपने उदाहरण भूल जाते हैं।
उन्होंने कहा, हमारी सरकार ने कभी किसी का पक्ष नहीं लिया है, विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के मामले पर सत्तापक्ष के विधायक के भाई को भी गिरफ्तार किया गया है। आज सरकार छोटी सी भी घटना पर रिपोर्ट दर्ज करती है। इस कारण आज दलित समाज के ऊपर अत्याचार के ग्राफ में कमी आई है।
सच तो यह है कि उन्नाव मामले में पीड़िता को घटना पर रिपोर्ट दर्ज कराने में दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी और रिपोर्ट दर्ज भी की गई तो उसमें ‘माननीय’ का नाम नहीं लिखा गया। इसका लाभ उठाते हुए भाजपा के दागी विधायक व अन्य को यह कहने का मौका मिल गया कि ‘पीड़िता ने पहले की तहरीर में उनका नाम नहीं दिया था’। पुलिस को ‘माननीय’ को नामजद करने में आठ महीने लग गए और वह भी तब प्राथमिकी दर्ज की गई, जब एसआईटी की रिपोर्ट आई और देश के सभी समाचार चैनलों पर इस मामले को तरजीह दी गई।