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चित्रों से प्रकृति प्रेम की अलख जगा रहे राजीव सेमवाल

नई दिल्ली, 13 अप्रैल (आईएएनएस)| आज के तनावभरी जीवनशैली में प्रकृति का साथ, उसकी नैसर्गिक खूबसूरती मन को सुकून प्रदान करती है और कुछ इसी सोच के साथ चित्रकार राजीव सेमवाल अपने हाथ से उकेरे चित्रों में प्रकृति और पशु-पक्षियों की कलाकृतियों को उभारते हैं और इनके संरक्षण का संदेश देते हैं।

वह लोगों के मन में खूबसूरत प्रकृति व जीव-जंतुओं के प्रति प्यार की अलख जगाने की कोशिश कर रहे हैं।

राजीव के पिता डिफेंस सर्विस में थे और शानदार चित्रकारी किया करते थे। अपने पिता को चित्रकारी करता देख उनके मन में भी ऐसा करने की भावना जागी और वह भी स्कूल से आकर कलम के बजाय कूची से अपनी कल्पनाओं को कागज पर उकेरने लगते।

प्राकृतिक खूबसूरती के लिए पहचाने जाने वाले उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में जन्मे राजीव ने आईएएनएस से कहा, मेरे पिता डिफेंस सर्विस में थे। वह बहुत बेहतरीन पोट्रेट बनाते थे। उनकी चित्रकारी को देखकर मेरे मन में भी ऐसा करने की भावना जागी और मैं भी स्कूल से आते ही चित्रकारी करने लगता और तीन-चार घंटे तक चित्रकारी करता।

शुरू में उन्होंने पेंटिंग की कोई ट्रेनिंग नहीं ली। हालांकि, बाद में वह एक कला संस्थान में इसकी बारीकियां सीखने गए और दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया।

उन्होंने कहा, शुरू में मुझे प्रशिक्षण संस्थानों के बारे में ज्यादा पता नहीं था, इसे लेकर मैं ज्यादा जागरूक नहीं था। मैं खुद से सीखता रहा। बाद में मैंने नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट से प्रशिक्षण लेना शुरू किया और 1998 से लेकर 2013-14 तक तरीब 13-14 सालों तक लगातार हर रविवार को जाकर इसकी बारीकियां सीखी, जिससे खुद में और निखार ला सकूं। मैंने शंकर एकेडमी ऑफ आर्ट से दो वर्षीय (2007-2009) डिप्लोमा भी किया।

प्रकृति व पशु-पक्षियों के साथ अपने लगाव के बारे में राजीव कहते हैं, मुझे शुरू से प्रकृति व इन बेजुबान पशु-पक्षियों से एक खास तरह का लगाव रहा है। बचपन से ही इनसे एक तरह का जुड़ाव सा महसूस होता आया है। मैं हमेशा से इन्हें पसंद करता आया हूं और पेंटिंग्स के जरिए चाहता हूं कि ज्यादा से ज्यादा लोग इनके संरक्षण के प्रति संजीदा हों और इन्हें प्यार दें। इनकी देखभाल की जिम्मेदारी लें।

चित्रकारी के क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने का सफर राजीव के लिए आसान नहीं रहा। शुरुआत में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपनी प्रदर्शनी लगाने के लिए दिल्ली के विभिन्न आर्ट गैलरी का दौरा किया। कई लोगों से संपर्क किया, दोस्ती की और फिर अपने पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगानी शुरू की।

राजीव की पेंटिंगों में ज्यादातक चारकोल और सफेद व काले रंगों का इस्तेमाल होता है। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि काला-सफेद रंग मेरी कलाकारी को नया उभार देते हैं, ये मेरी भावनाओं को अच्छे से जाहिर करते हैं। चारकोल से पेटिंग करने पर मेरी पेंटिगों को लोगों का काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला था, जिसके चलते मैंने इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। मैं अपनी पेटिंगों के प्रेजेंटेशन को अलग ढंग से दर्शाने में यकीन रखता हूं, इसलिए चारकोल या काले-सफेद रंगों का चयन ज्यादा करता हूं।

राजीव का कहना है कि कला को समर्पण की जरूरत होती है, और इसमें वहीं लोग आए जिन के अंदर समर्पण की भावना हो।

उन्होंने कहा, कला के प्रति आपको पूरी तरह से समर्पित होना चाहिए और आपके अंदर धैर्य होना चाहिए। आपको अपनी पहचान बनाने के लिए जूझना पड़ता है, तब जाकर आपको अपनी कड़ी मेहनत का फल मिलता है, ऐसे में इसमें वहीं लोग आएं, जिनके अंदर कड़ा संघर्ष करने व जूझने की क्षमता हो और कला के प्रति जुनून हो।

राजीव को कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। वह 2012 में अमृतसर में आयोजित इंडियन एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट में ड्राइंग सेक्शन में पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं। वह ऑल इंडिया फाइन एंड क्राफ्ट सोसाइटी (2011) और हाल ही में प्रफुल्ला धनुकर अवार्ड (2018) से सम्मानित हो चुके हैं। उनका मानना है कि ये पुरस्कार उन्हें अच्छा काम करने के लिए प्रेरित करते हैं।

उन्होंने कहा, पुरस्कार काफी अहमियत रखते हैं, ये दिखाते हैं कि लोगों को आपका काम पसंद आ रहा है, इससे हमें प्रोत्साहन मिलता है और अच्छा से अच्छा काम करने की प्रेरणा मिलती है।

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