नई दिल्ली, 2 अप्रैल (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत शिकायत दर्ज कराने पर आरोपी को तुरंत गिरफ्तार नहीं करने के फैसले को वापस लेने की मांग करते हुए केंद्र ने सोमवार को शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।
सर्वोच्च न्यायालय ने 20 मार्च को अपने एक आदेश में कहा था कि पुलिस इस अधिनियम के तहत दर्ज शिकायत पर कार्रवाई करने से पहले उसकी सत्यता का पता लगाने के लिए जांच करेगी।
केंद्र ने निवेदन में कहा कि शिकायत पर कार्रवाई जांच के बाद होने से कानून की कार्यवाही पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
अदालत ने यह भी कहा कि किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा अपने आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में विफल रहने पर उसके खिलाफ दर्ज शिकायत पर कार्रवाई करने से पहले किसी उच्च अधिकारी की मंजूरी जरूरी है। आम लोगों के मामले में शिकायत की जांच जिले के पुलिस अधीक्षक द्वारा की जाएगी।