मुंबई, 31 मार्च (आईएएनएस)| काले रंग के बुर्के में हजारों की संख्या में मुस्लिम महिलाओं ने आजाद मैदान में शनिवार को एक शांति जुलूस निकाला। उन्होंने पिछले साल दिसंबर में लोकसभा में तीन तलाक को प्रतिबंधित करने वाले पारित विधेयक को वापस लेने की मांग की। अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) की महिला शाखा द्वारा आयोजित यह पहला प्रदर्शन था, जिसमें विशेष तौर पर मुस्लिम महिलाएं विधेयक के विरोध में उतरीं और शरिया कानून का समर्थन किया। देश भर की मुस्लिम महिलाओं से इस प्रदर्शन को भारी प्रतिक्रिया मिली।
एआईएमपीएलबी की महिला शाखा की अध्यक्ष अस्मा जहरा ने कहा, हमारी मांग स्पष्ट है। तीन तलाक विधेयक को वापस लें। यह महिला विरोधी, लिंग न्याय विरोधी, बाल विरोधी, परिवारों को नष्ट करने वाला, मुस्लिम पतियों को जेल भेजने वाला और मुस्लिम समाज को नुकसान पहुंचाने वाला है।
उन्होंने कहा कि अभी तक पांच करोड़ महिलाएं इस मुद्दे पर एआईएमपीएलबी के रुख का समर्थन करने के लिए एक हस्ताक्षर अभियान में शामिल हुई हैं। इसे विधि आयोग के समक्ष दाखिल कराया जा चुका है। यह विधेयक फिलहाल राज्यसभा में लंबित है।
उन्होंने कहा, यह विधेयक पर्सनल लॉ के साथ हस्तक्षेप करने का प्रयास है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। प्रदर्शन में उन मुठ्ठी भर महिलाओं को भी निशाना बनाया गया है, जिन्होंने लोकसभा में सरकार द्वारा जल्दी में विधेयक पारित करने के बाद मिठाइयां बांटी थीं।
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान लोगों को अपने धर्म की आजादी प्रदान करता है, लेकिन यह सरकार नागरिकों से उनके संवैधानिक अधिकार छीनना चाहती है।
वहीं एआईएमपीएलबी की कार्यकारी सदस्य मोनिसा बी. आबिदी ने कहा कि तीन तलाक को गैरकानूनी घोषित करने वाले कानून को लाने के बजाए सरकार को समुदाय से बदलाव और आंतरिक सुधार लाने के लिए कहना चाहिए।
वकील मुनव्वरई अल्वारी ने कहा कि मुस्लिम महिलाएं शरिया कानून का जोरदार समर्थन करती हैं और उन्हें खोखले नारों से धोखा नहीं दिया जा सकता।