आरटीआई के दायरे में आएंगे उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने लोकायुक्त कार्यालय को ‘सूचना का अधिकार’ (आरटीआई) अधिनियम के अंतर्गत शामिल कर लिया है। सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद ऐसा करने के लिए न्यायालय ने आदेश दिया था।
उत्तर प्रदेश की पिछली समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार ने तीन अगस्त, 2012 को लोकायुक्त कार्यालय को आरटीआई के दायरे से बाहर कर दिया था।
ठाकुर ने इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसने राज्य सरकार को उसका आदेश खारिज करने का निर्देश दिया था।
न्यायालय ने कहा था कि प्रदेश सरकार ने लोकायुक्त को आरटीआई अधिनियम के दायरे से बाहर कर गैरकानूनी, अवैध और अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर काम किया है।
न्यायालय के आदेश के बाद भी प्रदेश सरकार द्वारा कोई कार्रवाही नहीं करने पर याचिकाकर्ता ने ‘न्यायालय की अवमानना’ की याचिका दायर की।
इसके बाद प्रदेश सरकार ने तत्परता दिखाते हुए 22 मार्च को पूर्ववर्ती सरकार का आदेश खारिज कर दिया और लोकायुक्त का कार्यालय आरटीआई अधिनियम के दायरे में आ गया।