राष्ट्रीय

केंद्र ने ‘सेज’ नीति में बदलाव के लिए समिति बनाई

नई दिल्ली, 5 मार्च (आईएएनएस)| केंद्र सरकार ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) की नीति में बदलाव के लिए जरूरी उपाय सुझाने के लिए एक समिति का गठन किया है। संसद को सोमवार को यह सूचना दी गई। सेज का गठन निर्यात को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। जो इकाइयां सेज में होती हैं, उन्हें सरकार से राजकोषीय और गैर-वित्तीय प्रोत्साहन प्राप्त होता है। जैसे निर्यात के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होती है और उप-निविदा जारी करने की पूर्ण स्वतंत्रता होती है, साथ ही प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर में भी लाभ मिलता है।

वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने एक लिखित जवाब में लोकसभा को बताया, सरकार सेज नीति में बदलाव के लिए सरकार एक समिति की गठन की प्रक्रिया में है।

एक अलग जवाब में प्रभु ने कहा कि सरकार ने रबर पर एक कार्यबल गठित करने का फैसला किया है, जो इस क्षेत्र की चिंताओं को दूर करने के दीर्घकालिक और अल्पकालिक उपाय सुझाएगी।

उन्होंने कहा कि इस कार्यबल में राज्य और केंद्र सरकार दोनों के प्रतिनिधि होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों के परामर्श से एक रबर नीति बनाने की दिशा में काम करना होगा।

सोमवार को वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सी.आर. चौधरी ने लोकसभा को बताया कि कॉफी बोर्ड ने आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम जिले में स्थित अराकू घाटी के जनजातीय समुदायों द्वारा विकसित की जाने वाली कॉफी की विशिष्ट पहचान के संरक्षण के लिए भौगोलिक संकेतों के तहत अराकू कॉफी के पंजीकरण के लिए आवेदन किया है।

केंद्र सरकार कॉफी बोर्ड के जरिए ‘एकीकृत कॉफी विकास परियोजना’ क्रियान्वित कर अराकू घाटी में कॉफी उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। इस योजना में पुनरेपण एवं विस्तार, जल संचयन एवं सिंचाई बुनियादी ढांचे का निर्माण और कॉफी एस्टेट के परिचालन के मशीनीकरण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना शामिल है। इसके अलावा क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के आयोजन और संबंधित क्षेत्रों में प्रदर्शन के लिए तकनीकी सहायता भी दी जाती है। एसएचजी और उत्पादक समूहों के लिए प्रति किलोग्राम 10 रुपये का प्रोत्साहन देकर कॉफी बोर्ड अराकू कॉफी के सामूहिक विपणन को सुविधाजनक बना रहा है।

उन्होंने कहा कि अराकू घाटी क्षेत्र में उत्पादित होने वाली अराबिका कॉफी एक उत्तम गुणवत्ता वाली विशेष कॉफी के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय हो गई है। कॉफी बोर्ड ने देश में उत्पादित होने वाली विभिन्न कॉफी किस्मों के लिए उनकी भौगेलिक विशिष्टता के आधार पर विशेष लोगो विकसित किए हैं।

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