उप्र : बुंदेलखंड में ऑर्गेनिक खेती को तरजीह
लखनऊ, 2 मार्च (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के किसानों की हालत हमेशा से ही बदहाल रही है, लेकिन अब इस बदहाली को दूर करने के लिए एक गैर सरकारी संगठन की ओर से वहां के किसानों को ऑर्गेनिक खेती के बारे में जानकारी दी जा रही है।
इस संगठन का दावा है कि उनके इस प्रयास का लाभ भी किसानों को मिल रहा है और अब वहां के खेतों में भी हरियाली दिखाई दे रही है, जिससे किसानों के चेहरे भी खिले हुए हैं।
गैर सरकारी संगठन ‘सतत संपदा’ की ओर से बुंदेलखंड के बांदा, ललितपुर, महोबा और झांसी जिले में अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से किसानों को ऑर्गेनिक खेती करने और उसके फायदे के बारे में जानकारी दे रहा है। इन इलाकों में डेढ़ साल पहले ही खेती करने के नाम से ही किसान बिदक जाते थे, अब वहां के पलायन कर चुके लोग भी बुंदेलखंड वापस आ रहे हैं।
संस्था की कोऑर्डिनेटर ज्योति अवस्थी ने बताया कि बुंदेलखंड के इन इलाकों में रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों का प्रयोग कर किसान ऑर्गेनिक खेती करने में जुटे हुए हैं। इसका फायदा किसानों और उपभक्ताओं को मिल रहा है।
ज्योति के मुताबिक डेढ़ साल पहले एक दो किसानों के साथ मिलकर ही संस्था की तरफ से ऑर्गेनिक खेती कराई गई थी, लेकिन अब इस मुहिम में 200 से अधिक किसान शामिल हो चुके हैं।
संस्था के मुताबिक, आर्गेनिक खेती की मुहिम से जुड़ने के बाद किसानो को फसल उगाने की लागत से जहां 70 फीसदी तक की कमी आई है, वहीं आय में भी वृद्धि हुई है।
दरअसल, सतत संपदा से जुड़े कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर किसानों को ऑर्गेनिक खेती करने के लिए प्रोत्साति करते हैं। ऑर्गेनिक खेती से पैदा होने वाली सब्जियां एवं फलों को बुंदेलखंड से सीधे नोएडा और गाजियाबाद भेजे जाने में भी यह समूह किसानों की मदद करता है। इससे किसानों को भी अपनी उपज का उचित लाभ मिल जाता है।
ऑर्गेनिक खेती के बारे में ज्योति ने बताया कि रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों, खर पतवार की जगह कम्पोस्ट, हरी खाद, बैक्टिरिया कल्वर जैविक खाद जैसे बायो पेस्टिसाइड का इस्तेमाल किया जाता है। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है और किसानों की लागत घटने के साथ ही उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ती है।
महोबा के किसान नरेश पटेल भी ऑर्गेनिक खेती से खुश हैं। उन्होंने कहा कि ऑर्गेनिक खेती से वाकई किसानों को फायदा हो रहा है। संस्थान की तरफ से किसानों की काफी मदद की जा रही है। किसान भी अपने खेतों में लहलहाती फसल और उपज का उचित मूल्य मिलने से काफी खुश हैं।