स्वास्थ्य

दुर्लभ बीमारियों के प्रति जागरूकता के लिए अभियान

नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)| लोगों को दुर्लभ बीमारियों खासतौर से एलएसडी और इसके विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूक करने और दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे रोगियों के समुदाय को बड़े पैमाने पर समर्थन देने के लिए दुर्लभ बीमारी दिवस (रेयर डिसीस डे) के मौके पर जागरूकता अभियान चलाया गया।

यह जागरूकता अभियान लायसोसोमल स्टोरेज डिस्आर्डरस (एलएसडी) मरीजों की सहायता के लिए बनाई गई संस्था लायसोसोमल स्टोरेज डिस्आर्डरस स्पोर्ट सोसायटी (एलएसडीएसएस) ने चलाया। इस मंच के माध्यम से दुर्लभ बीमारियों से जुड़ी नीति की सराहना की गई और साथ ही इस नीति को जल्द से जल्द लागू करने की प्रक्रिया पर भी चर्चा की गई।

नीति को तैयार करने और उसे अंतिम रूप प्रदान करने वाले स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल इस कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि थे। इसके साथ नीति आयोग और पॉलिसी कमेटी के सदस्य डॉ. वी के पॉल, एम्स के जेनेटिक यूनिट की डॉ. मधुलिका काबरा, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के बालरोग विशेषज्ञ विभाग की एसोसियेट प्रोफेसर डॉ. सीमा कपूर और दिल्ली के एलएसडी पीड़ित रोगियों ने कार्यक्रम में शिरकत की।

एलएसडीएसएस के अध्यक्ष मंजीत सिंह ने कहा, दुर्लभ बीमारियां बहुत कम लोगों को होती है, इसलिए इसे कभी भी स्वास्थ्य का प्रमुख मुद्दा नहीं माना गया। हालांकि रेयर डिसीस डे के मौकों पर इस तरह के कार्यक्रम सुनिश्चित करते है कि दुर्लभ बीमारियों को भी पहचान मिलें। हमारी इन्हीं कोशिशों का नतीजा है कि अब दुर्लभ बीमारियों से जुड़ी राष्ट्रीय नीति को अंतिम रूप मिला जो स्पष्ट दिखाता है कि इस हेल्थकेयर चुनौती पर जोर दिया गया है। अब इसका प्रभावी तरीके से लागू होना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि रोगियों को ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सकें। इसके अलावा स्वास्थ्य राज्य सरकार का विषय है, इसलिए राज्य सरकारों के लिए महत्वपूर्ण है कि वह राज्य की अपनी नीति तैयार करें।

वहीं डॉ. सीमा कपूर ने कहा, एलएसडी से पीड़ित रोगी अकसर बहुत गंभीर व मुश्किलभरी जिंदगी बिताते हैं और उनके लिए रोजमर्रा के काम करना तक दूभर हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि एलएसडी के ज्यादातर रोगी बच्चे हैं। इसलिए पुनार्वास और उपचार के सिस्टम को मजबूत करने के ठोस उपाय करने की जरूरत है। उच्च रिस्क वाले रोगियांे की जेनेटिक काउंसिलिंग के साथ बीमारी की पहचान व इलाज की चुनौतियों को दूर करने में मदद मिलेगी।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close