60 लाख बच्चों को मिल रहा है मध्यान्ह भोजन : मप्र ग्रामीण विकास मंत्री
भोपाल, 21 फरवरी (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने दावा किया है कि राज्य में ‘मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम’ के तहत अभी 1,14,000 विद्यालयों के 60 लाख से अधिक बच्चों को हर रोज स्वादिष्ट मध्यान्ह भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।
भार्गव ने बुधवार को बताया, कुपोषण के विरुद्घ प्रदेश में चलाए जा रहे अभियान में ‘मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम’ वरदान सिद्घ हो रहा है। प्रदेश के 85 विकासखण्डों के 25 हजार प्राथमिक शालाओं के 11.50 लाख विद्यार्थियों को अतिरिक्त पोषण-आहार के रूप में गुड़ और मूंगफली की चिक्की प्रदान की जाती हैं। इसी तरह मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के एक लाख 14 हजार प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं के 60 लाख से अधिक बच्चों को हर रोज स्वादिष्ट मध्यान्ह भोजन भी दिया जा रहा है।
मंत्री भार्गव ने आगे कहा कि प्रदेश में मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2004 में विद्यालयों में बच्चों को पका हुआ भोजन देने की व्यवस्था लागू की गई थी। इस व्यवस्था के प्रथम चरण में यह योजना केवल प्राथमिक विद्यालयों में लागू की गई थी। वर्ष 2008 से माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों के लिए भी मध्यान्ह भोजन वितरण व्यवस्था प्रारंभ की गई थी।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश के एक लाख 14 हजार प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में दर्ज 64 लाख 11 हजार छात्र-छात्राओं में से 60 लाख 31 हजार बच्चे इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। कार्यक्रम में पारदर्शिता, नियमितता और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए स्व-सहायता समूहों के माध्यम से ही विद्यालयों में भोजन तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। समूहों को खाद्यान्न राज्य स्तर से सीधे प्रदान किया जाता है।
भार्गव ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा कुपोषण के विरुद्घ जंग से भी इस योजना को जोड़ा गया है। प्रदेश के 85 विकासखण्ड के 25 हजार विद्यालयों के 11.50 लाख विद्यार्थियों को योजना के माध्यम से अतिरिक्त पोषण-आहार सप्ताह में तीन दिन प्रदान किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा 35 हजार 416 विद्यालयों को एलपीजी गैस कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं, जहां मध्यान्ह भोजन तैयार किया जाता है। विद्यालय में रसोई-घर की स्वच्छता और भोजन की पौष्टिकता को प्रोत्साहित करने के लिए प्रत्येक जिले में तीन स्वच्छ किचन को क्रमश: 50 हजार, 30 हजार और 20 हजार रुपये का पुरस्कार भी प्रदान किया जाता है।