गैर-विनियमित क्षेत्र में कोयले की मांग बढ़ेगी
कोलकाता। कोयला ऊर्जा का प्राथमिक ोत है और भारत में अभी कुछ और समय तक इसकी मांग में तेजी आएगी, जिसमें खासतौर से गैर-विनियमित क्षेत्रों में इसकी मांग बिजली जैसे विनियमित क्षेत्र की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ेगी।
एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई है। ‘कोयला विजन 2030’ नामक अध्ययन में बताया गया है, कोयले की मांग अभी कुछ समय तक बनी रहेगी। यहां तक कि सबसे प्रतिकूल स्थितियों में भी, जैसे कि साल 2017 की दूसरी तिमाही के भारत में कोयले मांग बरकरार रही, क्योंकि यह ऊर्जा का प्राथमिक ोत है, और इसकी मांग 2030 तक बढ़ती रहेगी और हो सकता है कि उसके बाद भी बढ़े।
कुल मिलाकर कोयले की मांग साल 2020 तक 900-1,000 एमटीपीए (मिलियन टन सालाना) और साल 2030 तक 1,300-1900 एमटीपीए रहने का अनुमान है।
बयान में कहा गया है, गैर-विनियमित क्षेत्र से कोयले की मांग में साल 2030 तक सालाना छह फीसदी सीएजीआर (सालाना चक्रवृद्धि वृद्धि दर) से वृद्धि होगी, जबकि विनियमित क्षेत्र से कोयले की मांग में तीन फीसदी सीएजीआर से बढ़ोतरी होगी।
हालांकि विनियमित क्षेत्र कोयले का सबसे अधिक उपभोग बनने वाला बना रहेगा, जो कुल उपभोग का दो तिमाही खपत करता है। कोल इंडिया लि. (सीआईएल) ने कोयले के मांग के भविष्य के परिदृश्य का आकलन करने के लिए यह अध्ययन करवाया था।