खेल

भारत में प्रतिभा की कमी नहीं है : कर्णम मल्लेश्वरी

नई दिल्ली, 6 फरवरी (आईएएनएस)| खेलो इंडिया स्कूल गेम्स के पहले संस्करण में भक्तराम देस्ती (स्वर्ण), सी. दिनेश (रजत) और सुभाष लाहरे (कांस्य) को सोमवार को जब 50 किलोग्राम भारवर्ग में जब पदक मिले तो वो बेहद खुश थे, क्योंकि उन्हें यह पदक भारत को भारोत्तोलान में पहला ओलम्पिक पदक दिलाने वाली कर्णम मल्लेश्वरी ने दिए।

मल्लेश्वरी ने जब सिडनी ओलम्पिक-2000 में महिलाओं के 69 किलोग्राम भारवर्ग में कांस्य पदक जीता था तब इन तीनों पदकधारियों में से किसी ने भी जन्म नहीं लिया था।

मल्लेश्वरी ने एथेंस ओलम्पिक-2004 के बाद संन्यास ले लिया था। इसके बाद भारत सरकार ने उन्हें भारोत्तोलान का पर्यवेक्षक बना दिया था।

मल्लेश्वरी ने कहा, भारतीय खाद्य निगम के साथ मैं अपने काम में व्यस्त हूं और साथ ही हरियाणा के यमुनानगर में स्थापित अपनी अकादमी चला रही हूं।

उन्होंने कहा, यह देखकर अच्छा लगा कि मेरी अकादमी के दो बच्चे इसमें हिस्सा ले रहे हैं। उनके प्रदर्शन से ज्यादा इन लोगों को यहां जो मौका मिल रहा है वो बड़ी बात है। इस तरह के खेलों में मैं चाहती हूं कि ज्यादा से ज्यादा बच्चे भारत्तोलान से जुड़ें। भारत में इस खेल में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है।

विश्व चैम्पियनशिप का खिताब दो बार अपने नाम करने वाली मल्लेश्वरी ने कहा, मेरी अकादमी के कई बच्चे काफी साधारण परिवार से आते हैं। प्रिंस (बालकों के 50 किलोग्राम भारवर्ग में हिस्सा ले रहे) के पिताजी सब्जी बेचते हैं। मेरी अकादमी में कई लोग इसी तरह के परिवार से आते हैं। मेरी सबसे बड़ी चुनौती इन खिलाड़ियों को सही आहार और प्रशिक्षण देना है।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close