‘चुनावी चंदे में पारदíशता से भ्रष्टाचार कम होगा’
चेन्नई, 31 जनवरी (आईएएनएस)| मंत्रियों व नौकरशाहों की विवेकाधीन शक्तियों में भारी कमी और राजनीतिक चंदों में पारदर्शिता जैसे कदमों से शासन में भ्रष्टाचार में कमी आएगी। यह बात ‘डूइंग बिजनेस इन इंडिया टुडे-डज इट कॉल फॉर कमप्रोमाइजेज?’ विषय पर के. एस. नारायणन व्याख्यानमाला-2018 में शामिल सदस्यों ने कही। कोटक महिंद्रा बैंक के संस्थापक सीईओ उदय कोटक ने मंगलवार को कहा, आर्थिक उदारीकरण के अंग के रूप में भारत को मजबूत नियामकों का निर्माण करना होगा और जो विवेकाधीन शक्तियां हैं, उनको समाप्त करना होगा। कम से कम विवेकाधीन शक्ति की जरूरत है।
कारोबारी, सामाजिक कार्यकर्ता और थर्मेक्स लिमिटेड की पूर्व चेयरपर्सन अनु आगा ने कहा, उदारीकरण के बाद भ्रष्टाचार का एक रूप देखने को मिला। जिस कारोबार में सरकार से कई प्रकार की मंजूरी लेने की जरूरत होती हो, उसमें भ्रष्टाचार का जन्म होगा। जब तक राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चंदे पारदर्शी नहीं होंगे तब तक भ्रष्टचार नहीं मिटेगा।
उन्होंने कहा कि राजनीतिज्ञ और नौकरशाह ईमानदारी से काम करने वाली कंपनियों को परेशान कर सकते हैं और भारत में किसी एक कंपनी के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना मुश्किल है।
अनु आगा ने कहा कि भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) जैसे संगठन सामूहिक रूप से इस खतरे के खिलाफ कदम उठा सकते हैं।