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फुटबाल खिलाड़ियों के विकास में माता-पिता का अहम रोल : बीरू मल

नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)| पटियाला स्थित भारतीय खेल संस्थान पूर्व मुख्य फुटबाल कोच बीरू मल ने सोमवार को कहा कि यूरोपीय फुटबाल भारतीय फुटबाल से मीलों आगे इसलिए है क्योंकि वहां खिलाड़ियों को सम्पूर्ण विकास में उनके माता-पिता बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और खेल से जुड़ी उनकी हर जरूरतों का ध्यान रखते हैं। बीरू मल के मुताबिक साथ ही यूरोप में फुटबाल सिखाने की कला काफी उन्नत है। चाहें वह कोचिंग की शैली हो या फिर खेल में तकनीक का इस्तेमाल, यूरोपीय क्लबों के पास अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं और वे अपने खिलाड़ियों को बचपन से ही अनुशासन में रखकर पेशेवर बनने का गुर सिखाती हैं। साथ ही साथ वे हर खिलाड़ी को एक अच्छा इंसान बनने का भी गुर सिखाती हैं।

बीरू मल ने अम्बेडकर स्टेडियम में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, एक खिलाड़ी के विकास में उसके परिजनों, खासकर माता-पिता का अहम योगदा होता है। एक समय था, जब भारत में उभरते हुए फुटबाल खिलाड़ियों को उनके परिवार द्वारा प्रेरित किया जाता था, निखारा जाता था लेकिन अब वह संस्कृति खत्म हो चुकी है। यूरोप में आज भी माता-पिता अपने बच्चों को खिलाड़ी बनाने के लिए काफी समर्पण करते हैं। साथ ही साथ वे अपने बच्चों को अच्छा खिलाड़ी बनाने के लिए काफी पैसे भी खर्च करते हैं क्योंकि वे मानते हैं कि एक अच्छा खिलाड़ी बनने के साथ-साथ उनका बच्चा एक अच्छा इंसान बनने की राह में भी अग्रसर है।

राजस्थान के पूर्व रणजी खिलाड़ी वसीम अल्वी द्वारा गठित इंडो यूरो स्पोर्ट्स एंड लेजर प्रोमोशन काउंसिल में कार्यकारी निदेशक (यूरोप) पद पर कार्यरत बीरू मल के पास फुटबाल कोचिंग का अपार अनुभव है। वह एनआईएस में दशकों काम करने के अलावा 13 साल तक बांग्लादेश स्पोर्ट्स अकादमी के साथ काम कर चुके हैं। साथ ही उन्होंने फुटबाल पर तकनीक आधारित छह किताबें भी लिखी हैं, जिनकी तारीफ भारत स्थित जर्मन दूतावास भी कर चुका है।

अल्वी के संगठन में काम करते हुए बीरू मल यूरोप में भारतीय खिलाड़ियों के लिए कोचिंग कैम्प आयोजित करने की जिम्मेदारी निभाते हैं। खेल एवं युवा मामलों में पंजीकृत यह संगठन भारतीय खिलाड़ियों के विकास के लिए जर्मन और पोलैंड के क्लबों के साथ करार करके चल रहा है। जर्मनी में इसका करार जर्मन लीग के शीर्ष क्लबों में से एक बोरूसिया डार्टमंड के साथ है और पोलैंड में इसके पास फुटबाल से जुड़े सभी संसाधन हैं। साथ ही पोलैंड में फीफा से संबद्ध रेफरी कोच भारत से जाने वाले बच्चों को प्रशिक्षित करते हैं।

काउंसिल के सहयोग से 10 से 25 जनवरी तक तीन बच्चों ने डार्टमंड की फेसिलिटी में अभ्यास किया। हिसार के जीवेश और दीपांशु के अलावा इन बच्चों में पंजाब के साहिल भी शामिल थे। इन लड़कों ने बताया कि वहां उन्हें एक सम्पूर्ण पेशेवर खिलाड़ी बनने के हर गुर सिखाए गए। साथ ही साथ उन्हें शारीरिक से अधिक मानसिक तौर पर मजबूत होने की कला सिखाई गई। इन बच्चों ने जर्मनी में जाकर सिर्फ 15 दिनों में इतना कुछ सीखा कि इस खेल को लेकर इनका नजरिया बिल्कुल बदल चुका है।

अब काउंसिल फरवरी में सात और बच्चों को जर्मनी भेज रहा है। इनके साथ होंगे भारतीय फुटबाल टीम के पूर्व कप्तान और आईएसल की टीम दिल्ली डायनामोज के मौजूदा कोच ऋषि कपूर। इस काउंसिल का मकसद खेलों एवं अन्य गतिविधियों की मदद से भारत तथा यूरोपीय देशों के बीच सम्बंधों को बेहतर करना है। साथ ही इस काउंसिल का मकसद देश के लिए सम्मान हासिल करने वाले खिलाड़ी भी देना है।

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