राष्ट्रीय

मप्र : स्कूली बच्चों को अंक नहीं, ‘स्माइली’ मिलेगी

भोपाल, 23 जनवरी (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश का स्कूल शिक्षा विभाग इस वर्ष से वह एक नया प्रयोग करने जा रहा है। पहली और दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों का मूल्यांकन उत्तर-पुस्तिका के बजाय अभ्यास-पुस्तिका के आधार पर किया जाएगा। साथ ही प्राप्तांक के स्थान पर ‘स्माइली’ अंकित होगी। मंगलवार को आधिकारिक तौर पर बताया गया कि प्रदेश के सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में होने वाले वार्षिक मूल्यांकन की तिथियां राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा घोषित की गई हैं।

तय कार्यक्रम के अनुसार, कक्षा तीसरी से आठवीं तक का वार्षिक मूल्यांकन का कार्य इस वर्ष सात मार्च से 31 मार्च तक होगा। कक्षा पहली और दूसरी के विद्यार्थियों का मूल्यांकन उत्तर-पुस्तिका के स्थान पर अभ्यास-पुस्तिका के आधार पर किया जाएगा। छोटे बच्चों को भयमुक्त वातावरण में आंनददायी तरीके से मूल्यांकन के लिए उनकी अभ्यास पुस्तिकाओं में प्राप्तांक के स्थान पर स्माइली अंकित की जाएगी।

बताया गया है कि विद्यार्थियों के मूल्यांकन के संबंध में नेशनल कैरीकुलम फ्रेम वर्क में अनुशंसा की गई है कि भयमुक्त वातावरण में बच्चों के सीखने-सिखाने की प्रक्रिया एवं मूल्यांकन किया जाए। अनिवार्य शिक्षा अधिनियम (आरटीई-2009) में भी विद्यार्थियों के सतत एवं व्यापक मूल्यांकन किए जाने का प्रावधान किया गया है।

सरकारी स्कूलों की कक्षा पहली एवं दूसरी में बच्चों का 50 प्रतिशत लिखित एवं 50 प्रतिशत मौखिक रूप से मूल्यांकन किया जाएगा। इसमें हिंदी, गणित एवं अंग्रेजी की अभ्यास-पुस्तिका में लिखित रूप से कार्य करवाया जाएगा।

राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक लोकेश जाटव ने बताया कि कक्षा पहली से चौथी तक और कक्षा छठवीं और सातवीं की उत्तर-पुस्तिकाओं का मूल्यांकन, परीक्षाफल और सांख्यिकी निर्माण शाला स्तर पर किया जाएगा। कक्षा पांचवीं और आठवीं की उत्तर-पुस्तिकाओं का मूल्यांकन निर्धारित मूल्यांकन केंद्र पर किया जाएगा। कक्षा पहली से आठवीं तक का वार्षिक मूल्यांकन परिणाम 30 अप्रैल तक अनिवार्य रूप से पूरा हो जाएगा।

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