युद्ध छेड़ने के लिए कश्मीरी अलगाववादियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल
नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)| राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गुरुवार को जेल में बंद सात कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ कथित रूप से पाकिस्तान स्थित आतंकी नेता हाफिज सईद और सैयद सलाहुद्दीन के साथ मिलकर कश्मीर को अलग कराने के लिए भारत के विरुद्ध युद्ध छेड़ने की साजिश रचने के खिलाफ आतंक रोधी कड़े कानून के तहत आरोपपत्र दाखिल किया।
एजेंसी ने करीब 13 हजार पन्नों के आरोपपत्र में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक और 2008 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी सईद और हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सलाहुद्दीन का नाम शामिल किया है।
अन्य आरोपियों में कट्टरपंथी हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह, नरमपंथी हुर्रियत प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक के करीबी सहयोगी आफताब अहमद शाह और जाना-माना व्यापारी जहूर अहमद वताली शामिल हैं।
सभी 12 आरोपी पर ‘आतंकवादी हमले और जम्मू एवं कश्मीर में हिंसा, पथराव और विध्वंसक व अन्य पृथकतावादी गतिविधि’ फैलाने का आरोप है। सभी आरोपी अभी यहां तिहाड़ जेल में बंद हैं।
आरोपपत्र अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश तरुण शेरावत की अदालत में दायर किया गया।
आरोप पत्र में कहा गया है, यह पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी संगठनों और उनके एजेंसियों के सक्रिय समर्थन के जरिए सुनियोजित साजिश का हिस्सा है जो भारत के विरुद्ध युद्ध छेड़ कर जम्मू एवं कश्मीर को अलग करने के उद्देश्य से काम कर रहा है।
एनआईए ने पिछले वर्ष 30 मई को इस संबंध में मामला दर्ज किया था और इस मामले में पहली गिरफ्तारी 24 जुलाई को हुई थी। इस संबंध में जम्मू एवं कश्मीर, हरियाणा व दिल्ली में 60 ठिकानों पर छापे मारे थे जिसमें 950 महत्वपूर्ण दस्तावेज और 600 से ज्यादा इलेक्ट्रोनिक यंत्र बरामद किए गए थे।
एजेंसी ने कहा कि इस संबंध में 300 गवाहों से पूछताछ की गई।
मामले गैर जमानती गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज किए गए हैं। इसके अंतर्गत मामले साबित होने की स्थिति में दोषियों को अधिकतम सात वर्ष की सजा दिए जाने का प्रावधान है।
एजेंसी ने कहा कि दस्तावेजों और डिजिटल यंत्रों के विश्लेषण के बाद यह स्थापित हुआ कि हुर्रियत नेताओं ने कश्मीर घाटी में ‘भारतीय संप्रभुता के सभी प्रतीकों खासकर भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ’ युवाओं को उकसाने के लिए नेटवर्क स्थापित किया था।
एजेंसी के अनुसार, हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन और उनके पाकिस्तानी आकाओं के दिशानिर्देशों के अनुसार, अलगाववादी नेता और पथराव करने वाले रणनीति और कार्य योजना के साथ विरोध प्रदर्शन आयोजित करते थे जिससे जम्मू एवं कश्मीर में आतंक और भय का माहौल बनता था।
एनआईए ने अपनी जांच में कहा, वैज्ञानिक और मौखिक सबूतों के जरिए यह पता चला कि आतंकवादी और पृथकतावादी गतिविधियों के लिए ये लोग वताली जैसे लोगों से हवाला के जरिए पाकिस्तान से धन प्राप्त करते थे।
जांच में कहा गया है कि ऐसी गतिविधियों के लिए ‘नियंत्रण रेखा के समीप अवैध व्यापार के जरिए’ धन इकट्ठा किया जाता था।
जांच के अनुसार, विदेशों की फर्जी और बोगस कंपनियों के जरिए जम्मू एवं कश्मीर में हुर्रियत नेताओं को धन मिलता था। इस राशि का प्रयोग जन विद्रोह और आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया जाता था, जिससे सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता था। इस राशि का प्रयोग भारत की संप्रभुता और एकता को समाप्त करने के इरादे से सामान्य जनजीवन को अस्त-व्यस्त करने के लिए भी किया जाता था।