राष्ट्रीय

बेरोजगारी के खात्मे खातिर 8 हजार किलोमीटर का सफर

नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)| देश में बेरोजगारी की समस्या के खात्मे और उसके प्रति जागरूकता लाने के लिए एक एनजीओ ने 500 लोगों की टीम के साथ देशभर में 8000 किलोमीटर का सफर तय किया। इस जागृति यात्रा में नामचीन हस्तियों के साथ ही युवा एवं अनुभवी उद्यमियों ने हिस्सा लिया, जो कन्याकुमारी, बेंगलुरू, नालंदा, नई दिल्ली और अहमदाबाद जैसे कई स्टॉप पर लोगों एवं विशेषज्ञों के साथ चर्चा परिचर्चा की।

एनजीओ जागृति सेवा संस्थान ने औद्योगिक क्रांति लाने के उद्देश्य से 24 दिसंबर को मुंबई से 15 दिवसीय रेल यात्रा यानी जागृति यात्रा शुरू की, जो अहमदाबाद में 7 जनवरी को समाप्त हुई। इस बीच पांच जनवरी को जागृति यात्रा दिल्ली पहुंची और राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की।

जागृति सेवा संस्थान के कार्यकारी निदेशक आशुतोष कुमार का कहना है कि जागृति यात्रा भारत के टियर-2 और टियर-3 शहरों में औद्योगिक क्रांति लाकर देश में बदलाव लाने की कोशिश है।

आशुतोष ने कहा, मुंबई से 10वीं जागृति यात्रा की शुरुआत 24 दिसंबर को हुई। इस बार जागृति यात्रा में समाज के अलग-अलग वर्गो और विभिन्न पृष्ठभूमि से आए 500 लोगों ने भाग लिया, जिसमें 50 फीसदी महिलाएं थीं। इस बार की यात्रा में लोग पांच अहम संकल्प (शपथ) ले रहे हैं जो यात्रा के उद्देश्य को राष्ट्रीय एकीकरण में पुनर्निर्देशित करेगा।

उन्होंने कहा, पहला संकल्प हम उद्यम के माध्यम से भारत का निर्माण करना चाहते हैं, दूसरा हम युवाओं और महिलाओं को रोजगार सृजनकर्ता बनने के लिए सशक्त बनाना चाहते हैं, तीसरा हम भारत में राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देंगे, आगे हम भारत के छोटे शहरों और गांवों पर ध्यान देंगे, और हम इस देश के प्रत्येक नागरिक को राष्ट्र निर्माता बनने के लिए सशक्त बनाएंगे।

जागृति सेवा संस्थान के अध्यक्ष शशांक मणि त्रिपाठी ने बताया, इस साल हम जागृति यात्रा की 10वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। हम भारत के सभी राज्यों में फैले अपने समर्थकों और जागृति संस्थान के 4000 से ज्यादा छात्रों को धन्यवाद देना चाहते हैं, जिनकी मदद से इस आंदोलन को सफलता मिली।

भोपाल के एक उद्यमी सोमैया ने कहा, यह एक महत्वाकांक्षी ट्रेन यात्रा है जो उद्यमी को खोज और परिवर्तन के लिए सैकड़ों युवाओं को प्रेरित करती है। इस यात्रा का हिस्सा बनने में मुझे बहुत प्रसन्नता हुई और मैंने अपने सभी वरिष्ठ और जूनियर से भी बहुत कुछ सीख लिया।

दिल्ली में जागृति यात्रा की रोल मॉडल अंशु गुप्ता थीं, जो 2015 में रमन मैग्सेसे पुरस्कार की विजेता रह चुकी हैं। 1998 में गूंज संस्था की स्थापना कर चुकीं अंशु का मानना है कि कपड़े पहनना किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। गूंज सामाजिक बदलाव के लिए शहरी कूड़े-करकट का प्रसंस्करण करती है। उनका लक्ष्य है, काम के लिए कपड़े। लोगों को उनके प्रयास के लिए पुरस्कार स्वरूप कपड़े-जूते-चप्पल, मसाले और अन्य चीजें दी जाती हैं।

जागृति यात्रा के दौरान यात्रियों को विशेष चार्टर्ड ट्रेन से सभी जगहों पर ले जाया गया। यात्रियों ने ट्रेन में करीब 8 हजार किलोमीटर का सफर तय किया। एक संस्था के तौर पर जागृति अपनी 3 मुख्य पहलों, जागृति यात्रा, जागृति एंटरप्राइज नेटवर्क और जागृति एंटरप्राइज सेंटर से जिले के उद्यमियों के समर्थन के प्रयास में लगातार जुटा है।

पिछले 9 सालों से जागृति यात्रा 1000 से ज्यादा उपक्रमों या उद्यमों के पोषण का आधार रही है, जिसने भारत के टियर 2 और टियर 3 शहरों में 20 लाख लोगों को प्रभावित किया है।

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