मप्र में सैकड़ों गायों की मौत पर मोदी-भागवत मौन क्यों : कांग्रेस
भोपाल, 4 जनवरी (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश के आगर-मालवा जिले के सुसनेर तहसील के सालरिया गांव में स्थित देश के सबसे बड़े गौ अभयारण्य में सैकड़ों गायों की मौत पर विपक्षी कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की चुप्पी पर सवाल उठाया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा है कि एक गाय को साथ ले जाते देखकर गौरक्षा के नाम पर उस इंसान की जान लेने की छूट मिल जाती है, लेकिन ऐसी छूट देने वाले सैकड़ों गायों की मौत पर मौन क्यों हैं, यह स्पष्ट करें।
नेता प्रतिपक्ष ने भागवत और मोदी को पत्र लिखकर सालरिया गौ अभयारण्य में सैकड़ों गायों की मौत की उच्चस्तरीय जांच कराने और दोषियों पर धारा 302 के तहत मामला दर्ज कराने की मांग की है।
अजय सिंह ने कहा कि उन्होंने मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के साथ जाकर गौ अभयारण्य देखा, तब उन्हें असलियत का पता चला और यह भी स्पष्ट हो गया किगौरक्षा की बात करने वाली पार्टी और उसका मार्गदर्शन करने वाले संगठन को गाय से कोई मतलब नहीं, बल्कि गाय के नाम पर वोट पाने से मतलब है।
उन्होंने कहा, वहां कई गायें मरणासन्न हालत में थीं और जिन गायों की मौत हो चुकी थी, उनमें से कई के शवों को कुत्ते खा रहे थे। मृत गायों को ठीक तरह से दफनाया भी नहीं गया था। ये लोग वोट पाने के लिए गौमाता और उससे भी बढ़कर राष्ट्रमाता तक कहने में संकोच नहीं करते। उसके बाद सबकुछ भूल जाते हैं।
सिंह और यादव का आरोप है कि गौ अभयारण्य में बीते तीन माह में 400 गायों की मौत हुई है, जबकि प्रशासन सिर्फ 117 की मौत स्वीकार रहा है।
उन्होंने कहा, अगर 117 के आंकड़े को ही सच मान लिया जाए, तो इनकी मौत क्यों हुई? उन्होंने मौके पर जाकर देखा तो गायों के शवों को जेसीबी से गड्ढा खुदवाकर उसमें डाल दिया गया था, मिट्टी से ढका भी नहीं गया। शवों को कुत्ते नोंच-नोंचकर खा रहे थे। यह बेहद शर्मनाक दृश्य था।
नेता प्रतिपक्ष सिंह ने बुधवार को संघ प्रमुख भागवत और प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर सालरिया गौ अभयारण्य में हुई सैकड़ों गायों की मौत पर प्रदेश की भाजपा सरकार को तलब करने, घटना की उच्चस्तरीय जांच कराने और दोषियों पर 302 का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
उन्होंने यह पत्र भागवत को विशेष संदेश वाहक के जरिए उज्जैन भेजा है, जहां इन दिनों संघ प्रमुख भाजपा के साथ समन्वय बैठक के क्रम में डेरा डाले हुए हैं।
नेता प्रतिपक्ष सिंह ने संघ प्रमुख को लिखे पत्र में कहा है, आपको पत्र लिखने के दो महत्वपूर्ण कारण हैं। एक तो गायों को लेकर आरएसएस बेहद संवेदनशील है और उसे राष्ट्रीय पशु मानती है। दूसरा गौ अभ्यारण्य का जब 24 दिसंबर, 2012 को भूमि पूजन हुआ था, तब आप (भागवत) उस समारोह में प्रमुख अतिथि थे। आपने कहा था कि ‘गौ पालन भारतीय संस्कृति और स्वभाव का प्रतीक है और संस्कार देने वाली है।’ निश्चित ही आपको को जानकर दुख होगा कि देश के पहले गौ अभयारण्य के शुरू होने के मात्र चार माह के भीतर ही गायों की मौत होनी शुरू हो गई है।
सिंह ने पत्र में लिखा है कि मुख्यमंत्री ने इस अभयारण्य का भूमि पूजन करते हुए कहा था कि ‘इसे गौतीर्थ बनाया जाएगा।’ लेकिन यह तो गायों की मौत का घाट बन गया। गाय को चारा देने का ठेका भाजपा के ही एक व्यक्ति को दिया गया है। इस चारा घोटाले में ही गायों की मौत का रहस्य छुपा है।
उन्होंने लिखा है, गायों की संख्या को लेकर भी अलग-अलग समय पर अलग आंकड़े दिए गए। पहले सात हजार, फिर चार हजार बताया गया। लेकिन जब हमने वहां जाकर देखा तो पाया कि यहां दो से ढाई हजार गायें हैं। यह भी जांच का विषय है।
नेता प्रतिपक्ष ने संघ प्रमुख को याद दिलाया, पूरे देश में गौरक्षा के नाम पर सिर्फ शक के बिनाह पर कथित गौरक्षकों ने कई इंसानों का कत्ल कर दिया। यहां पर तो सरकारी संरक्षण में यह अपराध हुआ है, जो और भी ज्यादा संगीन है और वह भी उस सरकार में, जो अपने को ‘गौ-भक्त सरकार’ होने का दावा करती है। आज जब सरकारी संरक्षण में ही गाय की मौत हो रही है, तब आप, आपकी सरकार और सभी गौरक्षक मौन क्यों हैं?
सिंह ने पत्र में संघ प्रमुख से मांग की है कि वे अपने प्रभाव का गौमाता के पक्ष में इस्तेमाल कर सरकार को इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष उच्चस्तरीय जांच करने का निर्देश दें। जिन लोगों की वजह से गौमाताओं की मौत हुई, उन पर गौहत्या का मामला दर्ज करने को कहें।