बागी विधायक: न घर के रहे न घाट के
देहरादून। कांग्रेस के बागी विधायकों की पिछले डेढ़ माह से चल रही कवायद को जोर का झटका लगा है। एक ओर जहां कोर्ट से उन्हें वोटिंग करने का अधिकार नहीं मिला तो दूसरी ओर रावत ने सदन में बहुमत साबित कर दिया। अब बागी कांग्रेसी क्या करेंगे, इस बात को राजनीतिक कयासबाजी शुरू हो गयी है। जोड़-तोड़ की राजनीति में एक बार फिर भाजपा कांग्रेस की तुलना में फिसड्डी साबित हुए हैं। भाजपा की कमजोर रणनीति से अब बागियों के भविष्य पर तलवार लटक गई है। भले ही बागी अपना अलग दल बनाएं, लेकिन उनकी फजीहत तो हो ही गई है।
भाजपा भी झाड़ लेगी पल्ला
फ्लोर टेस्ट में औंधे मुंह गिरी भाजपा अब कांग्रेस के बागी विधायकों से पल्ला छुड़ा लेगी। सूत्रों के अनुसार भाजपा अब किसी भी तरह से बागी विधायकों को अपने पल्लू से बांधने की फिराक में नहीं है। हालांकि हरक सिंह रावत पहले भी भाजपाई रहे हैं लेकिन भाजपा चाहती है कि बागियों की सिरदर्दी न लें। भाजपा ने पहले भी स्पष्ट किया कि बागियों को भाजपा ने नहीं, बल्कि कांग्रेस सरकार के मुखिया हरीश रावत ने असंतुष्ट किया था। भाजपा ने तो केवल उनका समर्थन किया था।
…तो अलग दल बनाएंगे बागी
बागी विधायकों ने इस बात का संकेत दे दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान वह नई पार्टी का गठन कर सकते हैं।बागी नौ विधायकों में से कई मंगलवार को सचिवालय में चहलकदमी नजर आए। इस मौके पर पूर्व विधायक सुबोध उनियाल ने कहा कि अब गाड़ी बहुत आगे निकल चुकी है। प्रकरण के पटाक्षेप होने के बावजूद कांग्रेस में वापसी का सवाल ही नहीं उठता है। भाजपा के टिकट पर, बतौर निर्दलीय प्रत्याशी या फिर नई राजनीतिक पार्टी के बैनर तले चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। सुबोध उनियाल ने कहा कि भावी राजनीति को लेकर तमाम विकल्पों पर मंथन जारी है। हालांकि भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी बागी विधायकों को समर्थन नहीं देगी और न ही उनको पार्टी में शामिल करेगी। यह बात अलग है कि यदि पार्टी हाईकमान ने कुछ निर्देश दिये तो उन्हें मानना ही होगा। केदारनाथ की पूर्व विधायक शैलारानी रावत ने कहा कि भविष्य की राजनीति को लेकर तमाम विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। जिसमें नई राजनीतिक पार्टी का गठन करना भी शामिल है।