चिकित्सा आयोग विधेयक संसदीय समिति को भेजा गया
नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)| भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) की जगह राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की स्थापना के लिए प्रस्तावित विधेयक को कई विपक्षी दलों के आग्रह के बाद मंगलवार को संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने लोकसभा में यह जानकारी दी।
उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि वह समिति को अपनी रिपोर्ट संसद के बजट सत्र से पहले देने का निर्देश दें।
मंत्री ने कहा, सभी विपक्षी पार्टियों ने आग्रह किया कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक को स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए। सरकार की तरफ से मैं कहता हूं कि हम इसे स्थायी समिति को भेजने के लिए तैयार हैं। लेकिन मेरा एक आग्रह है व सर्वोच्च न्यायालय का आदेश है, साथ ही स्वास्थ्य की स्थायी समिति की सिफारिश भी है कि विधेयक जल्द ही लाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, चिकित्सा शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए इस विधेयक की जरूरत है। स्थायी समिति से अपनी सिफारिशों को बजट सत्र से पहले देने को कहें, जिससे कि हम इसे बजट सत्र के दौरान पारित कर सकें।
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि संसदीय समिति को एक विधेयक को देखने में कम से कम तीन महीने का समय लगता है, लेकिन चूंकि इस विधेयक को दूसरी बार समिति के पास भेजा जा रहा है तो इसकी रिपोर्ट बजट सत्र से पहले आ सकती है।
इससे पहले शून्यकाल के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत राय ने मामले को उठाया था और अध्यक्ष से विधेयक को स्थायी समिति को भेजने का आग्रह किया था।
उन्होंने कहा कि सदन को विधेयक के खिलाफ चिकित्सकों की हड़ताल का संज्ञान लेना चाहिए।
भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) के 2.77 लाख सदस्य हैं, जिसमें देश भर के कॉरपोरेट अस्पताल, पॉली क्लिनिक, नर्सिग होम शामिल हैं। संघ ने ‘जन विरोधी व मरीज विरोधी’ चिकित्सा आयोग विधेयक के खिलाफ मंगलवार को सभी निजी अस्पतालों के 12 घंटे के बंद का आह्वान किया था।
सरकार द्वारा विधेयक को संसदीय समिति को भेजे जाने की सहमति के बाद हड़ताल को समाप्त कर दिया गया।