हिमाचल : राजेंद्र राणा सुजानपुर के राजनीतिक दबंग
चंडीगढ़, 23 दिसंबर (आईएएनएस)| हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाली भारतीय जनता पार्टी के लिए खुश होने का मौका है। मगर मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह तय करना पार्टी के लिए मशक्कत भरा काम हो गया है, क्योंकि मुख्यमंत्री उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल हार गए और उन्हें हराने वाले कांग्रेस प्रत्याशी हैं राजेंद्र सिंह राणा, जो सममुच सुजानपुर के ‘राजनीतिक दबंग’ साबित हुए हैं।
चुनाव के नतीजों से भाजपा की खुशी के दो कारण हैं- पहला, पांच साल बाद सत्ता में वापसी और दूसरा, उसके पास दो तिहाई बहुमत है। लेकिन एक शख्स ऐसा है, जिसने पार्टी के अंदर अपने कड़वे अनुभव के कारण राज्य में भाजपा के शीर्ष नेृतत्व का साथ छोड़कर मुश्किल बढ़ा दी।
वह शख्स हैं सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार राजेंद्र सिंह राणा, जिन्होंने भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल को हराकर भगवा दल को एक नया चेहरा तलाशने के लिए मजबूर कर दिया है। संसदीय दल का नेता तय करना भाजपा के लिए माथापच्ची का काम हो गया है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में शुक्रवार को हुई संसदीय दल की बैठक धूमल समर्थकों के हंगामे की भेंट चढ़ गई।
दो बार के मुख्यमंत्री धूमल पर हैरतंगेज जीत दर्ज करने वाले राणा ने एक साक्षात्कार में आईएएनएस से कहा, मैंने पिछले 15 सालों में सुजानपुर विधानसभा में बहुत सारे सामाजिक कार्य किए हैं। इस क्षेत्र के लोगों की दुआओं ने यहां से भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होने के बावजूद मुझे जिम्मेदारी सौंपी। मेरी इस विधानसभा के लोगों के साथ निजी तौर पर अच्छे संबंध हैं। मैं यहां उनके साथ हर खुशी और गम के मौके पर उपस्थित रहा हूं।
धूमल के करीबी रहे राणा ने वर्ष 2009 में पार्टी छोड़ दी थी। उन्होंने कहा, जब धूमल का नाम इस सीट के लिए चुना गया, मैंने तभी घोषणा कर दी थी कि वह हारेंगे। उनके कुछ लोगों ने चुनाव से पहले मुझ तक पहुंच बनाने की कोशिश की, लेकिन मैंने उनसे कह दिया था कि उन्हें (धूमल) सुजानपुर से खड़ा नहीं होना चाहिए था। मुझे पता था कि लड़ाई मुश्किल रहने वाली है। लेकिन मैं जानता था कि मैंने यहां कई अच्छे काम किए हैं, जिसका प्रतिफल मुझे मिलेगा।
सुजानपुर के ‘जियांट किलर’ नाम से प्रसिद्ध हो चुके 51 वर्षीय राणा ने सोमवार को घोषित हुए नतीजों में 73 वर्षीय धूमल को 1,919 मतों से शिकस्त देकर हिमाचल प्रदेश की राजनीति और भाजपा में हलचल मचा दी है। राणा की जीत इन मायनों में भी खास हो जाती है, जब हिमाचल में एक तरह से भाजपा की लहर थी और पार्टी ने 68 सदस्यीय विधानसभा में 44 सीटें हासिल की हैं।
राणा ने कहा, भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व चुनावी गणित में फंस गया। उन्होंने धूमल को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर उन्हें सुजानपुर सीट से खड़ा कर दिया। उन्होंने यह सोचा कि भाजपा हमीरपुर की पांचों सीट जीत जाएगी, क्योंकि धूमल एक जानेमाने नेता हैं और मुख्यमंत्री चेहरा भी हैं। मगर यह जुआ उलटा पड़ गया। भाजपा के आंतरिक सर्वेक्षण में भी यह दर्शाया गया कि मुझे हराना मुश्किल होगा।
राणा करोड़पति हैं, जिन्हें अपना निजी फंड क्षेत्र के गरीब घरों से ताल्लुक रखने वाली लड़कियों की शादी और छात्रों को छात्रवृत्ति देने के लिए जाना जाता है।
राणा वर्ष 2003 से 2009 तक धूमल के साथ रहे थे, मगर 2009 में उनसे अलग हो गए। राणा को 2012 चुनाव में सुजानपुर से भाजपा का टिकट नहीं मिला और निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे और 14 हजार के भारी अंतर से जीत दर्ज की। उस चुनाव में भाजपा तीसरे नंबर पर रही थी।
राणा ने कहा, मेरे दिमाग में कोई राजनैतिक दुश्मनी नहीं है। मेरा मकसद लोगों की सेवा और क्षेत्र का विकास है। पिछले पांच सालों में वीरभद्र सिंह ने मेरा बहुत समर्थन किया है और हमने सुजानपुर के लिए बहुत काम किया है। हालांकि अब नई भाजपा सरकार को क्षेत्र के विकास के लिए मदद करनी होगी।
धूमल को हराकर कांग्रेस में अपनी पकड़ मजबूत कर चुके राणा ने कहा, इस सीट पर नाम और काम के बीच टक्कर थी। मैंने धूमल से कहा था कि यहां की राजनीति वैसी नहीं है। यह इस क्षेत्र के लोगों की जीत है।