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अफगानिस्तान की सहायता के लिए भारत ने ईरान से मदद ली

संयुक्त राष्ट्र, 22 दिसम्बर (आईएएनएस)| अमेरिकी नीति में उलझाव की वजह से क्षेत्र के एक सहायता कार्यक्रम में भारत ने ईरान के साथ साझेदारी कर अफगानिस्तान में सहायता भेजी है।

इस सहायता को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि इसे भारत को मुहैया कराना चाहिए।

भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि तन्मय लाल ने परिषद से गुरुवार को कहा, बीते महीने भारत से गेहूं अनाज सहायता की पहली खेप ईरान के चाबहार बंदरगाह के माध्यम से अफगानिस्तान पहुंची।

उन्होंने कहा, जमीनी माध्यम से अफगानिस्तान में पहुंच से इनकार करना अफसोसजनक है, इससे अफगानिस्तान के लोगों के कल्याण कार्यक्रम को नुकसान पहुंचता है।

उन्होंने कहा कि ईरान के जरिए विश्वसनीय, मजबूत संपर्क के एक नए युग की शुरुआत हुई है।

पाकिस्तान अपने क्षेत्र से अफगानिस्तान के लिए भारतीय मदद को इजाजत नहीं देता है।

यह भारतीय मदद अमेरिकी राष्ट्रपति के क्षेत्रीय नीतियों के दो तत्वों में असमानता पैदा करती है। अमेरिका चाहता है कि भारत अफगानिस्तान की सहायता करें, लेकिन वह ईरान को अलग-थलग भी करना चाहता है। भारत की यह सहायता ट्रंप के अनुरोध पर भारत की व्यापक अंतर्राष्ट्रीय सहायता नीति का हिस्सा है।

ट्रंप ने अगस्त में अफगानिस्तान के लिए नई नीति की घोषणा करते हुए कहा था कि वह चाहते हैं कि भारत विशेष तौर पर आर्थिक सहायता व विकास के क्षेत्र में उसके साथ अफगानिस्तान की मदद करें।

इस हफ्ते की शुरुआत में उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का खुलासा किया व भारत से क्षेत्र में मदद बढ़ाने के लिए कहा। लेकिन यह भी घोषणा की कि अमेरिका दुनिया को ईरान में तानाशाही खतरे का सामना करने के लिए एक साथ ला रहा है।

अफगानिस्तान में अपने जवानों व कार्यक्रमों के लिए सामानों की आपूर्ति के लिए अमेरिका पाकिस्तान पर निर्भर है।

भारत पाकिस्तान के जरिए अफगानिस्तान की पर्याप्त सहायता सामग्री की मदद देने में समर्थ नहीं है और उसे ईरान पर भरोसा करना होगा। इससे ट्रंप के भारत व अफगानिस्तान नीति के एक हिस्से को आगे बढ़ाने में ईरान एक गुप्त सहयोगी बनता दिख रहा है।

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