राष्ट्रीय

विदिशा में लोग बदसूरत उद्यान को बना रहे खूबसूरत

विदिशा, 20 दिसंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश का विदिशा जिला वह स्थान है, जहां से देश की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सांसद हैं। इस शहर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी करीबी नाता है, मगर इस शहर की पहचान ‘सावरकर बाल विहार उद्यान’ प्रशासनिक उपेक्षा के चलते धूल धूसरित हो चला था। आखिरकार कुछ युवाओं ने मिलकर इस उद्यान की तस्वीर बदलने का अभियान चलाया, जो निरंतर जारी है। कचराघर में तब्दील हो चुका उद्यान अब अपने नए स्वरूप में नजर आने लगा है।

शहर के बीचों-बीच स्थित सावरकर बाल विहार उद्यान अब से एक माह पहले तक पूरी तरह कचराघर नजर आता था।

स्थानीय निवासी डॉ. अमित ठाकुर ने बताया कि इस उद्यान की हालत देखकर उन्हें ही नहीं, नगर के अन्य युवाओं से लेकर बुजुर्गो तक को तकलीफ होती थी। इसके बाद उन लोगों ने फैसला लिया कि नियमित श्रमदान कर पहले उद्यान को साफ करेंगे। इसकी शुरुआत तीन दिसंबर को की गई।

डॉ. सचिन कामले की मानें तो यह उद्यान असामाजिक तत्वों का अड्डा बन चुका था। यहां लोग घूमने आना चाहते थे, मगर उनकी यह इच्छा यहां की बदहाली के चलते पूरी नहीं हो पाती थ्ीा। यहां अतिक्रमण हटाने के अभियान में हटाए गए मलबे, गुमटी, पुरानी कार वगैरह को रखकर इसे कबाड़खाने में बदल दिया गया था।

युवक अभिषेक माहेश्वरी के अनुसार, पहले उन लोगों ने उद्यान से कबाड़ हटाकर समतल करने का अभियान चलाया। बड़ी संख्या में लोगों का साथ मिला, धीरे-धीरे पूरा उद्यान साफ हो गया। इतना ही नहीं, मलबे और चीप आदि को बिछाकर पैदल चलने के लिए मार्ग (पाथ-वे) बनाया जा रहा है।

श्रमदान में हिस्सेदारी निभाने वाले संजय ठाकुर और सुमित पटवा बताते हैं कि, उनके लिए सबसे पहले यह चुनौती थी कि यहां जमा कबाड़ को कैसे ठिकाने लगाया जाए। लिहाजा, सभी ने तय किया कि इसी कबाड़ से पार्क की स्थिति को सुधारा जाए। नतीजा यह हुआ कि कबाड़ एक तरफ हटता गया, तो दूसरी तरफ उसका उपयोग होता गया।

उद्यान की हालत बदलने के अभियान में सक्रिय सुनील दांगी, सचिन ठाकुर और शुभम दांगी कहते हैं कि यह उद्यान पूरी तरह नगरपालिका के अधीन है। उसे रखरखाव पर ध्यान देना चाहिए, मगर ऐसा हो नहीं पा रहा है। नतीजतन, स्थानीय लोगों ने इसे सुधारने का अभियान चलाया। हाल यह है कि कबाड़खाने में तब्दील स्थान अब खुला मैदान, साफ -सुथरा, हरी घास और व्यवस्थित पेड़ों वाला बन गया है। मैदान में पाथ-वे भी नजर आने लगा है।

सावरकर बाल विहार उद्यान की बदहाली और नागरिकों के सहयोग से इसकी सूरत बदलने के अभियान को लेकर नगरपालिका अध्यक्ष मुकेश टंडन से संपर्क का प्रयास किया गया, मगर वे उपलब्ध नहीं हुए।

इस तरह स्थानीय जागरूक लोगों की कोशिश से बदसूरत हो चुका उद्यान खूबसूरत होने लगा है। यही कारण है कि सुबह और शाम को यहां लोग घूमने आने लगे हैं। अभी सुधार अभियान जारी है। यह सब कुछ श्रमदान से हो रहा है और वह भी वहां पड़े कबाड़ का उपयोग करके।

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