राष्ट्रीय

भारतीय रसोइयों ने सरसों तेल के किए गुणगान

नई दिल्ली, 20 दिसम्बर (आईएएनएस)| सरसों के तेल का उपयोग सदियों से खाद्य पदार्थ के रूप में किया जाता है और अधिकांश भारतीय घरों में मुख्य रूप से इसे इस्तेमाल किया जाता है। अपने दैनिक आहार में सरसों तेल को शामिल करना हृदय रोग से बचाव के लिए जाना जाता है। यह तेल मोनोअनसचुरेटेटेड वसा और पॉलीअनसैचुरेटेड वसा से समृद्ध है, जो खराब कोलेस्ट्रॉल को घटाने में मदद करते हैं और अच्छे एचडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ाते हैं, ताकि कोलेस्ट्रॉल का संतुलन बना रहे। इससे हृदय की कार्यप्रणाली स्वस्थ बनी रहती है।

कार्यकारी शेफ अरुण सुंदरराज ने आईएएनएस को बताया, सरसों का तेल एक जीवाणुरोधी, वायरसरोधी और फंफूद रोधी एजेंट के रूप में भी अच्छी तरह काम करता है और पाचन तंत्र में बैक्टीरिया के संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकता है।

उन्होंने कहा, स्वाद के ष्टिकोण से, सरसों का तेल ज्यादातर लोगों को पसंद है। तीखे स्वाद के कारण सरसों का तेल किसी भी पकवान का स्वाद जबरदस्त तरीके से बढ़ा देता है। मेरा मानना है कि कोई अन्य घटक इसके जैसा नहीं है। सरसों तेल का अद्वितीय बनावट है। ताज महल होटल, नई दिल्ली में हम सरसों के तेल का उपयोग मस्टर्ड प्रॉन्स और भट्टी मुर्ग जैसे व्यंजनों में करते हैं।

सुंदरराज कहते हैं, यह सलाह दी जाती है कि सरसों के तेल को खाना पकाने के लिए एकमात्र माध्यम के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए और इसके बजाय आप व्यंजन के आधार पर विभिन्न तेलों के संयोजन का उपयोग कर सकते हैं। सरसों के तेल का स्मोकिंग पॉइंट ज्यादा होता है, इसलिए यह डीप फ्राइंग के लिए आदर्श है।

कार्यकारी शेफ सोनू कोइथारा का भी सरसों तेल के बारे में कुछ ऐसी ही राय है।

उल्लेखनीय है कि सरसों तेल का खाना बनाने के साथ-साथ चिकित्सा उपयोग भी है। कोइथारा ने आईएएनएस को बताया, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 वसा अम्ल के सर्वोत्तम अनुपात और संतृप्त वसा की कम मात्रा के कारण अन्य तेलों से यह बेहतर है। इसमें करीब 60 फीसदी मोनोसैचुरेटेड वसा (एमयूएफए), साथ ही पॉलीअनसेचुरेटेड वसा (पीयूएफए), और संतृप्त वसा होती है। ये वसा अम्ल ‘उपयुक्त वसा’ माने जाते हैं।

उन्होंने एक शोध के हवाले से कहा, सरसों के तेल में कैंसर से लड़ने वाले तत्व काफी अधिक होते हैं और इसमें भारी मात्रा में लिनोलिनिक एसिड होता है, जो ओमेगा-3 वसा अम्ल में परिवर्तित हो जाता है और कैंसर को रोकने में मदद करता है।

कोइथारा ने कहा, सरसों का तेल दिल के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि इसमें एमयूएफए और पीयूएफए के साथ ही ओमेगा-3 और ओमेगा-6 वसा अम्ल होते हैं। ये उपयुक्त वसा हृदय रोगों के विकास के जोखिम को कम करते हैं और यह एक बेहद शक्तिशाली प्राकृतिक उत्तेजक है, जो पाचन में सुधार करता है और पाचन रसों को तैयार करने में मदद कर भूख बढ़ाता है।

पी मार्क सरसों के तेल के निर्माता पुरी ऑयल मिल्स लिमिटेड के डीजीएम (कॉपोर्रेट कम्युनिकेशंस) उमेश वर्मा ने कहा, पारंपरिक भारतीय व्यंजनों में सरसों के तेल का उपयोग रसोइये कई पीढ़ियों से करते आ रहे ेहैं, जो कश्मीर, पंजाब और पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ है, क्योंकि यह भोजन का स्वाद बढ़ा देता है।

वह कहते हैं, भारतीय लोग जिस भी देश में जाते हैं, वहां वे भारत का स्वाद पसंद करते हैं, और उन देशों में वे अपने पसंदीदा ब्रांड ढूंढ़ते रहते हैं। हमें अपने सरसों तेल के अमेरिका और विभिन्न यूरोपीय शहरों में उपलब्ध होने की खबरें मिलती रहती हैं।

क्या कोई खाद्य पदार्थ है, जो खासतौर से केवल सरसों तेल में ही पकाया जा सकता है?

सुंदरराज ने कहा कि यह तेल अपने बहुमुखी गुणों के कारण भारतीय घरों के लिए सर्वश्रेष्ठ है, और यह भारतीय मसाले का पूरक है, जो हमारे भोजन के स्वादों को खूबसूरती से उभारता है।

सुंदरराज ने कहा, जबकि सरसों का तेल शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही व्यंजनों का पूरक है, लेकिन सभी तरह के अचार का स्वाद सरसों तेल में सबसे बेहतर होता है। इसके अलावा सरसों का तेल नींबू और शहद के साथ एक सलाद ड्रेसिंग के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, इसके अलावा बंगाली भोजन में खासतौर से बहुत सारे मछली के व्यंजनों में सरसों का इस्तेमाल अपरिहार्य है, जिसमें सरसों बाटा माछ, पटुरी मछली और अन्य व्यंजन जैसे मांगसाओ (मटन), मुर्गीर झोल (चिकन) शामिल हैं। इन व्यंजनों का स्वाद तभी उभर कर आता है, जब उसे सरसों के तेल में पकाया जाता है।

कोइथारा के अनुसार, बंगाली भोजन में सरसों के तेल का अत्यधिक उपयोग होता है, जो बंगाली स्वाद का पूरक है। शोरशे बाटा इलिश और चिंगरी भापा जैसे खाद्य पदार्थ सरसों तेल के प्रचुर उपयोग के बिना इतने स्वादिष्ट बन ही नहीं सकते।

क्या वह इस विषय पर कोई अन्य विचार भी साझा करना चाहते हैं?

सुंदरराज ने कहा, कुछ ऐसे तत्व हैं, जिन्हें भारतीय रसोई में कभी बदला नहीं जा सकता और सरसों का तेल इसमें से एक है, जो अपने अनूठे और तीक्ष्ण स्वाद के कारण अत्यावश्यक है।

सरसों के तेल के अपरिमित स्वास्थ्य लाभों के बारे में कोइथारा ने कहा कि सर्दी के दौरान यह मालिश के लिए बहुत अच्छा है, क्योंकि यह शरीर में गर्मी पैदा करता है और ठंड से शरीर को बचाता है।

उन्होंने कहा, इसी कारण, राजस्थान के लोग सर्दियों के दौरान अपने शरीर पर सरसों के तेल की मालिश करते हैं, ताकि त्वचा को साफ और खुद को स्वस्थ बनाए रख सकें। साथ ही, सरसों का तेल सर्दी खांसी के इलाज के रूप में सदियों से बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता रहा है।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close