कोई प्रभावी समूह किसी राष्ट्र की पहचान नहीं : कुमारतुंगा
पणजी, 16 दिसम्बर (आईएएनएस)| श्रीलंका की पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंगा ने कहा है कि नेताओं को किसी प्रभावी समूह को किसी राष्ट्र की पहचान के रूप में नहीं थोपना चाहिए, बल्कि इसके बजाए स्वीकार करना चाहिए कि सभी समुदायों की विविध पहचान अंतत: एक राष्ट्र की पहचान को आकार दे। इस द्वीपीय देश की पांच बार राष्ट्रपति रह चुकीं कुमारतुंगा ने शुक्रवार को तटीय राज्य गोवा में चल रहे इंडिया आईडिया कॉन्क्लेव में बोल रही थीं।
उन्होंने कहा, जब मैं एक राष्ट्र की विशिष्ट पहचान के बारे में कहती हूं, तो इसका मतलब यह नहीं कि वह केवल एक समूह की पहचान है, बल्कि वह एक राष्ट्र में प्रभावी समूह की पहचान है। मेरा मतलब है एक राष्ट्र की सामूहिक पहचान, सभी समुदायों की सामूहिक पहचान से बनाई गई है, जो उस देश में रह रहे हैं।
कुमारतुंगा ने कहा, मान्यता के साथ प्रत्येक समुदाय के पास अधिकार हैं, उनके पास समानता का पूर्ण अधिकार, उनकी संस्कृति, उनके धर्म, उनकी सामाजिक परंपराओं का पूर्ण अधिकार है। लेकिन उन सभी को एक राष्ट्र के रूप में आगे आना चाहिए और एक राष्ट्रीय पहचान के रूप में दिखना चाहिए।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, हमने अच्छे नेताओं और बुरे नेताओं को देखा है। कुछ नेताओं ने अपने स्वयं के व्यक्तिगत और राजनीतिक लाभ के लिए अपने राष्ट्रों की विविधता का इस्तेमाल किया, उन्होंने राष्ट्रों के भीतर रहने वाले विभिन्न समुदायों के बीच संघर्ष के बिंदुओं को उकसाया, जो सदियों से एक साथ रह रहे थे।
उन्होंने कहा कि आधुनिक दुनिया में मतभेदों को समझना जरूरी है। उन्होंने कहा, अतीत में महात्मा गांधी, नेल्सन मंडेला और अब्राहम लिंकन जैसे नेताओं ने बुलंदियों को छुआ, क्योंकि एक राष्ट्र को एक साथ लाने के लिए उनके पास एक ष्टि थी।
उन्होंने कहा, एक राष्ट्र सभी समुदायों को देश के भीतर रहने, विविधता की मान्यता के माध्यम से और मतभेद की विविधता का सम्मान होने से बनता है।
कुमारतुंगा ने कहा, मैं कहूंगी कि यह क्षण हमारी आधुनिक दुनिया में बहुत जरूरी है। हम देख सकते हैं कि हमारे आसपास, हमारे क्षेत्र में, दुनिया में बहुत संघर्ष हो रहे हैं, जो नहीं होने चाहिए और उन्हें सुलझाया जा सकता है, बशर्ते हमारे पास इस तरह के एजेंडे वाले नेता हों।