राष्ट्रीय

शरद यादव मामले में उच्च न्यायालय का हस्तक्षेप से इंकार

नई दिल्ली, 15 दिसम्बर (आईएएनएस)| दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को अपने अंतरिम आदेश में जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव के राज्यसभा से निष्कासन पर रोक लगाने या संसद के शीतकालीन सत्र में उन्हें हिस्सा लेने की इजाजत देने से इंकार कर दिया।

न्यायमूर्ति विभु बाखरू ने हालांकि उन्हें भत्ता व आवास की सुविधा की इजाजत दे दी।

शरद यादव ने राज्यसभा से अपने निष्कासन को चुनौती दी थी और इस सत्र में शामिल होने का निर्देश देने की मांग की थी। उन्होंने याचिका में कहा था कि उनके खिलाफ आदेश पारित करने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला।

अदालत ने राज्यसभा सदस्य और सदन में जद(यू) के नेता राम चंद्र प्रसाद सिंह से यादव की याचिका पर प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए कहा और इस मामले की सुनवाई एक मार्च, 2018 तक टाल दी।

उपराष्ट्रपति व राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने चार दिसंबर को जद(यू) के बागी नेता शरद यादव व अली अनवर को राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था।

जद(यू) ने दोनों को अयोग्य ठहराए जाने की मांग की थी। पार्टी का मानना था कि दोनों नेताओं ने विपक्षी पार्टी की रैली में शामिल होकर पार्टी नियमों की अनदेखी की।

नायडू ने जद(यू) के उस तर्क से सहमति जताई, जिसमें कहा गया था कि दोनों वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी निर्देशों की अवहेलना कर अपनी सदस्यता स्वेच्छा से त्याग दी थी।

यादव व अंसारी समेत जद(यू) के कई नेता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से राष्ट्रीय जनता दल के साथ महागठबंधन तोड़ने और भाजपा के साथ गठबंधन करने के बाद पार्टी से नाराज होकर पार्टी में अपना अलग गुट बना लिए हैं।

यादव उच्च सदन के लिए वर्ष 2016 में निर्वाचित हुए थे और उनका कार्यकाल 2022 तक था। जबकि अनवर का कार्यकाल 2018 में समाप्त होने वाला है।

चुनाव आयोग ने नवंबर माह में नीतीश कुमार की अगुवाई वाले जद(यू) को वास्तविक पार्टी बताया था और चुनाव चिह्न् ‘तीर’ के इस्तेमाल की भी इजाजत दी थी।

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